कानपुर। Womens Day 2020 Special: दशकों के दौरान हिंदी फिल्मों ने बदलते समय और कल्चर को इंप्रेसिव तरीके से प्रस्तुत किया है, इस क्रम में कई बदलाव सामने आये जिनसे आज तक औरत जूझती आई है, फिर चाहे वो सोशल अब्यूज हों, वायलेंस हो या सोशल इनजस्टिस और जेंडर अनइक्वेलिटी हो। नरगिस से लेकर मीनाक्षी शेषाद्री हो या शबाना आजमी से लेकर तब्बू और श्रीदेवी हों सब अपने अपने तरीके से कभी मदर इंडिया कभी दामिनी और कभी सोशल इश्यूज से जूझने वाली लज्जा छोड़ इंग्लिश विंग्लिश सीख कर बदलाव ला चुकी हैं।

1- मदर इंडिया (1957)

मदर इंडिया भारतीय सिनेमा के बिलकुल इनीशियल टाइम में आने वाली एक क्लासिक फिल्म है। यह अपने समय की एक पाथ ब्रेकिंग फिल्म थी, जिसे नरगिस दत्त की सबसे प्रभावशाली और रेस्पेक्टेड परफार्मेंसेज में से एक माना जाता है। इस फिल्म में राधा के रूप में नरगिस एक गरीब गांव की औरत बनी हैं जो अपने दो बेटों को पालने के लिए तमाम मुश्किलों से लड़ती है। उसे गांव वाले न्याय का प्रतीक और भगवान की तरह मानते हैं। अपने सिद्धांतों के प्रति सच्ची रहते हुए, वह इंसाफ के लिए गलत रास्ते पर जा रहे अपने बेटे की जान लेने से भी पीछे नहीं हटती।

womens day 2020 special: जानिए वुमेन इंपॉवरमेंट को हाई लाइट करती 10 सदाबहार बॉलीवुड फिल्मों के बारे में

2- भूमिका (1977)

इस फिल्म में एक एक्ट्रेस की लाइफ को दिखाया गया है ये करेक्टर स्मिता पाटिल ने प्ले किया है। फिल्म की हिरोइन एक सफल अभिनेत्री बनने के लिए बाल कलाकार के रूप में करियर शुरू करती है, और ऊंचाई तक पहुंचने के बाद उसका मोहभंग हो जाता है।

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3- अर्थ (1982)

इस फिल्म में शबाना आजमी एक ऐसे शख्स कुलभूषण खरबंदा की वाइफ बनी है जो उसके साथ धोखा करके दूसरी औरत स्मिता पाटिल के पास चला जाता है। महेश भट्ट द्वारा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में दिखाया गया है कि तब कैसे ये औरत अपने दम पर अपनी लाइफ और खुशियों को संभालते हुए एक इंडिपेंडेंट बन जाती है और हसबेंड के पास वापस आने से इंकार कर देती है।

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4- मिर्च मसाला (1987)

केतन मेहता द्वारा निर्देशित मिर्च मसाला, गांव की एक साधारण महिला की कहानी सुनाती है। सोनबाई, यानि स्मिता पाटिल एक पावरफुल गवरमेंट ऑफिसर को ना कहने का विकल्प चुनती है, ताकि वो सूबेदार बने नसीरुद्दीन शाह गंदी निगाहों से खुद को बचा सके। फिल्म में एक किरदार दीप्ति नवल का है जो गांव के मुखिया की पत्नी बनी है और अपनी बेटी को एजुकेट करने के लिए अपने पति के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह करती है। वास्तव में ये उस समय में बनी महिला सशक्तिकरण की एक प्रभावशाली कहानी है।

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5- दामिनी (1993)

मीनाक्षी शेषाद्री की फिल्म दामिनी एक ऐसी महिला की सच्चाई के लिए लड़ाई की कहानी है जो अमीर परिवार में शादी करके आती है। दामिनी अपने जेठ के खिलाफ खड़ी होती है जो घर की नौकरानी के साथ दुष्कर्म करता है। पूरा परिवार उसका विरोध करता है और उसे घर छोड़ना पड़ता है। न्याय पाने के लिए एक नाकामयाब वकील जो सनी देयोल बना है उसकी मदद करता है।

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6- मृत्युदंड (1997)

फिल्म में एक गांव की महिला केतकी के एक्सप्लॉयटेशन और मेल डॉमिनेयिंग सोशल सिस्टम के टकराव की कहानी को दिखाया गया है। माधुरी दीक्षित ने बोल्ड केतकी का किरदार निभाया है जो अपने और समाज की अन्य महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ती है, बाद में वह अपने पति की मौत का बदला भी लेती है।

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7- अस्तित्व (2000)

महेश मांजरेकर के डायरेक्शन में बनी अस्तित्व इंडियन सोसायिटी में मेलशॉवनिज्म को उजागर करती है। यह एक्स्ट्रामैरिटल रिलेशन और समाज में फैले महिला के साथ खराब व्यवहार करने जैसे सोशल ईवल जैसे टॉपिक्स को भी हाई लाइट करती है। फिल्म में तब्बू अदिति श्रीकांत पंडित के का करेक्टर प्ले करती हैं, जो शादी से बाहर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है और आखिर में अपने पति और बेटे को छोड़ कर अपने प्रेमी के पास जाने के लिए घर से चली जाती है, और इसमें उसकी बहू नम्रता शिरोडकर उसका साथ देती है।

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8- चांदनी बार (2001)

चांदनी बार मुंबई में कई महिलाओं के अंधेरे और असहाय जीवन को सामने लाती है, जो अंडरवर्ल्ड, प्रॉस्टीट्यूशन, डांस बार और अपराध के जाल में फंस जाती हैं। फिल्म में तब्बू ने मुमताज की भूमिका निभाई है जो अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, लेकिन अफसोस कि परिस्थितियां उसके खिलाफ होती हैं। मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित, यह मुंबई के कुछ हिस्सों में रहने वाली महिलाओं के सामने आने आने वाली परिस्थितियों की दर्द भरी कहानी है।

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9- लज्जा (2001)

लज्जा एक हार्ड हिटिंग फिल्म है जो भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति किए जा रहे गलत विहेवियर को उजागर करती है। रेखा, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला और महिमा चौधरी ने फिल्म में अलग अलग परिस्थितियों से जूझ रही डिफरेंट एज ग्रुप की महिलाओं के करेक्टर प्ले किए हैं।

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10- इंग्लिश विंग्लिश (2012)

एक सामान्य गृहिणी शशि गोडबोले की कहानी है इंग्लिश विंग्लिश, जिसका करेक्टर श्रीदेवी ने प्ले किया है। एक हाउसवाइफ शशि, एक पत्नी और एक मां के रूप में डैडिकेटेड और बेहतरीन महिला है, पर उसकी बेटी और पति सिर्फ इसलिए उस पर ध्यान नहीं देते क्योंकि वह धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकती है। हर्ट शशि अपनी भतीजी की शादी के लिए अमेरिका यात्रा पर आती है औऱ यहां पर चुपचाप अंग्रेजी सीखती है। इस कोशिश में भाषा के साथ उसकी पर्सनैलिटी में भी एक निखार आ जाता है। डायरेक्टर गौरी शिंदे ने सरल कहानी को बेहद प्रभावशाली तराके से प्रेजेट करके खास बना दिया है।

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