एक साक्षात्कार में सामने आई बात
सेन्टर फोर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज सीएसआईएस से संबंधित बोनी एस ग्लेसर ने एक साक्षात्कार में बताया कि उनको लगता है कि शी चिनफिंग भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं जो भारतीय हितों के लिए खड़े रहना और क्षेत्र में चीन को रोकने के इच्छुक अन्य देशों, खासतौर से अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, और इसी बात से चीन चिंतित है। ग्लेसर एशिया के लिए वरिष्ठ सलाहकार और वाशिंगटन डीसी स्थित शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक सीएसआईएस में चाइना पावर प्रोजेक्ट की निदेशक हैं। उनको लगता है कि चीन को भारत के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों से कुछ लाभ होता नजर नहीं आ रहा है। वो बताती हैं कि इसीलिए शायद शुरुआत में शी दिल्ली गए और पीएम मोदी से रिश्ते कायम करने की कोशिश की ताकि भारत ऐसी नीति अपनाए जो चीनी हितों को चुनौती ना दे, लेकिन दक्षिण चीन सागर में उनकी गतिविधियां जारी रहने के कारण ऐसा नहीं हो पाया।
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भारत को मानता है चुनौती
डोकलाम मामले पर पैनी नजर रख रही ग्लेसर के अनुसार हालाकि हिंद महासागर और अन्य समुद्री क्षेत्रों के मामले में दोनों देशों के बीच जाहिर तौर पर मतभेद हैं, लेकिन चीन इससे लाभ होता नहीं दिख रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच लंबी साझा सीमा है। चीन ने भारत-भूटान-चीन सीमा के समीप सड़क निर्माण शुरू किया था जिसका निर्माण कार्य भारतीय सेना ने रुकवा दिया था। इसके बाद 16 जून से ही डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है। चीन वैसे भी लंबे समय से भारत को एक चुनौती के रूप में देखता रहा है। उसको लगता है कि आने वाले समय में भारत एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरेगा।
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