यंगस्टर्स वेस्टर्न कल्चर से इंफ्लुएंस तो हो रहे हैं पर वे कहीं ना कहीं इंडियन ट्रेडिशंस और वेस्टर्न कल्चर के बीच फंसे हुए हैं. वे चाहते कुछ और हैं और कर कुछ और रहे हैं.  

देल्ही यूनिवर्सिटी में सेकेंड ईयर की स्टूडेंट तान्या (बदला हुआ नाम) का अब तक दो बार ब्रेक अप हो चुका है, और वह इसकी वजह बताती हैं, रिलेशनशिप में पर्सनल स्पेस का न होना. वहीं लखनऊ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट संयोग का साफ मानना है कि वह रिलेशनशिप में तब तक इमोशनली इन्वॉल्व नहीं होंगे जब तक कि उन्हें परफेक्ट पार्टनर नहीं मिल जाती.

हालांकि तान्या और संयोग ऐसे अकेले नहीं हैं, बल्कि ये ट्रेंड यूथ के बीच तेजी से बढ़ रहा है, और इस ट्रेंड के साथ किसी को कोई परेशानी नहीं है. जब हमने रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. मोना बख्शी से इसकी वजह जाननी चाही तो उनका कहना है, ‘यंगस्टर्स लाइफ में सबकुछ परफेक्ट चाहते हैं. लडक़ा या लडक़ी दोनों को ही लाइफ में स्पेस चाहिए और जिस पार्टनर के साथ वे कम्फर्टेबल फील करते हैं उसी के साथ टाइम स्पेंड करना पसंद करते हैं, और ऐसा न होने पर ब्रेक अप उनके लिए आम बात है.’

डॉ. मोना के मुताबिक, ‘यंगस्टर्स अपने रिलेशनशिप्स को लेकर काफी लीनिएंट हो गए हैं. वे वेस्टर्न कल्चर को अडॉप्ट तो कर रहे हैं पर पूरी तरह से नहीं. यही एक वजह है कि वे शादी तो किसी एक से ही करना चाहते हैं पर उससे पहले वे कई लोगों के साथ रिलेशन में होते हैं. उनके कैजुअल रिलेशनशिप्स के बारे में तो उनकी फैमिलीज को भी नहीं पता. एक तरह से वे कहीं बीच में फंसे हुए हैं.’

एक्सपर्ट बता रही हैं क्या हैं इन रिलेशनशिप्स के पीछे के रीजंस...

Exposure

बढ़ता हुआ एक्सपोजर इसका एक बड़ा कारण है. इंटरनेट से उन्हें लगभग हर उस चीज के बारे में पता चल जाता है जो वे चाहते हैं. सोसाइटी में भी एक्सपोजर लेवल काफी बढ़ गया है. इसी वजह से यंगस्टर्स को लगता है कि अब तो सब कुछ चलता है.

Independency

यंगस्टर्स इंडिपेंडेंट हो गए हैं. वे दूसरों की राय लेना पसंद नहीं करते. वे अपने डिसीजंस खुद लेते हैं फिर चाहे वे सही हों या ना हों.

Western value system

हमारी कंट्री में वेस्टर्न इंफ्लूएंस कोई नई बात नहीं है पर आज लोग अच्छी चीजों से ज्यादा बुरी चीजों से अफेक्ट हो रहे हैं. जो भी हम अडॉप्ट कर रहे हैं उसमें बैलेंस बिल्कुल भी नहीं है. हमें ध्यान देने की जरूरत है कि हम एक बैलेंस बना कर चलें.

Confusion

देखा जाए तो आज का यूथ रिलेशनशिप्स के मामले में काफी कंफ्यूज्ड है, ये मानना है डॅा. मोना का. वो कहती हैं कि इंडियन यूथ इंडियन ट्रेडिशन और वेस्टर्न वैल्यूज के बीच फंसा हुआ है. उसे वेस्ट का एक्सपोजर पसंद तो है पर जब बात आती है सर्वाइवल की तो उनके लिए उसे एक्सेप्ट करना मुश्किल हो जाता है.

Youngsters’ point of view

यंगस्टर्स के प्वॉइंट ऑफ  व्यू से क्यों ये रिलेशंस इतने अट्रैक्टिव हैं, इसके पीछे भी रीजंस हैं, जैसे-  

No time restriction

इस रिलेशनशिप में किसी को भी अपने पार्टनर को मिनट टु मिनट का हिसाब नहीं देना होता, ना ही उसके अकॉर्डिंग टाइम स्पेंड करने का बाउंडेशन होता है. वे टाइम को अपने अकॉर्डिंग स्पेंड करने के लिए फ्री होते हैं.

No emotions

इमोशंस ही दो लोगों को वजह बेवजह जोड़े रहते हैं. पर इस रिलेशन में ऐसा नहीं होता. एक इंसान अपनी मर्जी से किसी के साथ होता है और अपनी मर्जी से उससे अलग हो जाता है वो भी बिना किसी गिल्ट के. पर ये पॉसिबल तभी होता है जब दोनों ही पार्टनर्स एक दूसरे को रेस्पेक्ट दें.

No anger and jealousy

क्योंकि आप किसी के साथ सीरियसली इंवॉल्व्ड नहीं होते इसलिए आपका पार्टनर किसके साथ है और क्या कर रहा है, इस बात को लेकर ना तो आपको गुस्सा आता है और ना ही आप जेलस फील करते हैं.

No avoiding friends

गर्लफ्रेंड/ब्वॉयफ्रेंड की वजह से आपको अपने फ्रेंड्स को ना ही इंग्नोर करना पड़ता है और ना ही उनकी इग्नोरेंस झेलनी पड़ती है.

No orders to follow

ऐसे रिलेशंस का एक फायदा यह भी होता है कि किसी को भी पार्टनर के ऑर्डर्स को फॉलो करने की जरूरत नहीं होती और ना ही किसी काम को पूरा ना कर पाने पर अग्रेशन फेस करना पड़ता है.

Positive aspects

More options- कैजुअल रिलेशंस को पॉजिटिवली डील किया जाए तो आपको बेस्ट पार्टनर तलाशने में हेल्प भी मिल सकती है.

Better understanding- इस तरह की रिलेशनशिप्स में लोगों को बेहतर तरीके के समझने और परखने की आपकी केपेबिलिटी भी इंप्रूव होती है.

Any negative aspects ?

डॉ. मोना बख्शी की मानें तो आगे चलकर शादी तो सभी को करनी है पर इस तरह के रिलेशंस में अगर आप कंटीन्यूअसली इंवॉल्व्ड रहते हैं तो लाइफ में कहीं ना कहीं एक इनसेक्योरिटी या इंस्टेबिलिटी का खतरा बना ही रहता है.