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PATNA : पटना में ई-कचरा तेजी से बढ़ रहा है. सरकारी और प्राइवेट दफ्तर हो या स्कूल, कॉलेज सभी जगह ई-कचरा का ढेर पड़ा हुआ है. मोबाइल, लैपटॉप, डेस्टॉप, कंप्यूटर की-बोर्ड के रूप में ई-कचरा सभी जगहों पर रखा हुआ है. राजधानी में रिसाइक्लिंग की व्यवस्था नहीं होने से ई-कचरा डंप कर रखा हुआ है. इस वजह से प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है. ये हमारे जीवन के लिए बेहद नुकसानदायक हैं. एक अनुमान के मुताबिक हर महीने पटना में 10 टन से ज्यादा ई-कचरा निकलता है.

जनवरी से बंद कलेक्शन

पटना सहित बिहार के हर जिले में ई-कचड़ा जमा हो रहा है. लेकिन इसकी रिसाइकिलिंग के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ई-कचरा के निस्तारण के लिए कई संस्थाएं आगे आई. पटना सहित कई जिलों में ई-कचरे का कलेक्शन शुरू भी किया गया लेकिन इस साल जनवरी से वह भी बंद हो गया. ई-कचरा कलेक्शन का काम करने वाली संस्था निदान की रिपोर्ट के अनुसार पटना में हर महीने 10 टन ई-कचरा कलेक्ट किया जाता था. रिसाइकिलिंग के लिए उसे चेन्नई समेत दूसरे शहरों में भेजा जाता था.

क्या कहता है नियम

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जो कंपनियां इलेक्टॉनिक्स प्रोडक्ट बनाती हैं ये उनकी ही जिम्मेदारी है कि वो रिसाइकिंिलंग के लिये भेजे. टेंडर खत्म होने के बाद अभी किसी को ये जिम्मा नहीं सौंपा गया है.

हमारे लिए घातक है ई-कचरा

ई-कचरा में कई तरह के ऐसे मैटेरियल होते है जो सड़ने के बाद सांस लेते समय हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. कई बार कई ऐसे मेटेरियल होते है जिनको जला दिया जाता है. इसके जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड समेत कई हानिकारक गैस निकलती हैं जो फेफड़े और स्किन पर बुरा प्रभाव डालती हैं.

ये हैं ई-कचरा

टीवी

कम्प्यूटर

लैपटॉप

मोबाइल

रेडियो

फ्रीज

एसी