1. The war of 1967 :-
भारत-चीन बॉर्डर पर चीनी सिपाहियों की घुसपैठ काफी आम बात हो गई थी। चीनी सेना इस तरह की हरकतें करके भारतीय जवानों को उकसाया करती थी। ऐसे में भारत ने इस समस्या को सुलझाने के लिए बॉर्डर की घेराबंदी का काम शुरु कर दिया था। चीन ने इस बात पर भारत से नाराजगी भी जताई लेकिन इस तीखी बहस का हल अभी तक नहीं निकला था। जिसके परिणामस्वरूप चीन ने नाथू ला बॉर्डर पर गोलीबारी शुरु कर दी, इसके बाद भारतीय सेना ने भी गोलिंयों का जवाब गोलियों से दिया। जिसमें कि चीनी बंकर तहस-नहस हो गए और कुल 400 लोग मारे गए, अंत में चीन को इस युद्ध में हार झेलनी पड़ी। चीन को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई और उसने चाऊ ला के पास एकबार फिर भारत से टकराने की कोशिश की जिसमें उसके 40 एलीट कमांडो मारे गए हालांकि इस लड़ाई में भारत के कैप्टन डागर और मेजर हरभजन सिंह भी शहीद हो गए।
2. Captain Vikram Batra :-
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल वार में कैप्टन विक्रम बत्रा ने काफी बहादुरी दिखाई थी। इस पराक्रम के चलते उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। कारगिल युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सेना ने 17,000 फुट की ऊंचाई पर 5140 प्वॉइंट पर कब्जा जमा लिया। भारत को जब यह सूचना मिली तो एक सैन्य टुकड़ी पाकिस्तानियों को जवाब देने के लिए प्वॉइंट पर जाने लगी। विक्रम बत्रा और उनके सहयोगी जब चढ़ने लगे तो पाकिस्तानी आर्मी ने मशीन गन से उनके ऊपर ताबड़तोड गोलियां बरसानी शुरु कर दीं, हालांकि जवाबी कार्रवाई में कैप्टन बत्रा ने दो मशीनगन पोस्ट को बर्बाद किया जिसमें दुश्मनों के 3 जवान ढेर हो गए। बाद में कैप्टन बत्रा भी दुश्मनों की गोली का शिकार बनकर देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए।
3. Annexation of Goa :-
भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो उसे समय गोवा में अभी भी पुर्तगाल का कब्जा बना हुआ था। हालांकि उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गोवा को भारत में मिलाने का काफी प्रयत्न किया। लेकिन नेहरू के सभी प्रयास विफल रहे जिसके बाद 1961 में भारतीय सेना एक्शन में आई और पुर्तगालियों को गोवा से भगाकर उसपर कब्जा कर लिया। इस ऑपरेशन को नाम 'ऑपरेशन विजय' रखा गया जिसमें कि भारतीय जवानों ने हवा, समुद्र और जमीन पर तकरीबन 36 घंटे तक ऑपरेशन चलाया।
4. Lt. Arun Khetarpal :-
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान एक और भारतीय जवान की बहादुरी देख दुश्मन हक्के-बक्के रह गए थे। वो जवान थे, लेफ्टिनेंट अरुण खेतरपाल। दरअसल इस जंग में भारतीय सेना बसंतर रिवर पर एक पुल बना रही थी ताकि दुश्मनों को जल्द से जल्द हरा सकें, इस बीच पाकिस्तानी आर्मी कों कहीं से भनक लग गई और पुल आधा ही बन पाया था कि उन्होंने भारतीय सेना पर हमला बोल दिया। इसके बाद अरुण को जैसे ही यह खबर लगी वह तुरंत वहां पहुंचे और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया यही नहीं अरुण ने कई सिपाहियों को पकड़ भी लिया। यह लड़ाई तब तक और तेज हो चुकी थी पाकिस्तान ने भारत का दूसरा टैंक भी उड़ा दिया था। जिसके बाद अरुण ने अकेले वार पाकिस्तानी टैंको को नष्ट किया। जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भी भारत के दो और टैंको पर गोले दागे, जिसमें कि एक अरुण का टैंक भी शामिल था। टैंक के आग लगने के बावजूद अरुण ने हार नहीं मानी और वह टैंक पर चढ़े ही गोलियां बरसा रहे थे। उस समय कमांडर ने अरुण को टैंक छोड़कर नीचे आने का आदेश दिया लेकिन अरुण ने कहा, 'No Sir. I’m not going to abandon my tank. My gun is working and I’ll get these bastards.' इससे आप अरुण की बहादुरी का अंदाजा लगा सकते हैं।
5. Captain Manoj Kumar Pandey :-
1999 कारगिल वार में एक और भारतीय जवान ने अपनी शहादत से देश का नाम रोशन किया था। कारगिल युद्ध में जब पाकिस्तानी सेना ने जुबार टॉप पर कब्जा किया तो कैप्टन मनोज ने दुश्मनों को खदेड़ने का प्लॉन बनाया। उन्होंने पहले देखा कि दुश्मन कहां-कहां से छुपकर गोलियां बरसा रहे हैं, इसके बाद उन्होंने हमला बोला और फिर पहले दुश्मन को मारा उसके बाद दो और लोगों को मारकर आगे बढ़ गए। हालांकि जब वह तीसरे दुश्मन को मार रहे थे तभी उनके कंधे और पैर पर गोलियां लग गई। इसके बावजूद घायल अवस्था में ही उन्होंने ग्रेनेड से चौथे दुश्मन को मार गिरा। इससे पहले कि वह और दुश्मनों को खत्म करते एक गोली सीधे उनके सिर पर लग गई। कैप्टन मनोज की इस शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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