डिडक्टिबल एमाउंट:
डिडक्टिबल एमाउंट यानी जो रकम क्लेम के समय आपको देनी होती है उसको बढाकर आप अपना सलाना प्रीमियम कम कर सकते हैं। हालांकि कोशिश करें की अपनी क्षमता के मुताबिक ही भुगतान की सीमा तय करें। सबसे खास बात तो यह है कि जनरल इंश्योरेंस हर साल रिन्यू होता है।

क्लेम से बचें:
अगर साल भर में ऑटो इंश्योरेंस में कोई क्लेम नहीं लिया जाता है तो नो-क्लेम बोनस के चलते प्रीमियम 50 पर्सेंट तक घट सकता है। कई बार लोग छोटे छोटे नुकसान जैसे बंपर टूट जाने या पिछली लाइट खराब हो जाने पर क्लेम के लिए चले जाते हैं। जिससे उनको क्लेमफ्री इयर यानी की नो-क्लेम बोनस का लाभ नहीं मिल पता है।

ट्रांसफर करें नो-क्लेम बोनस:

इंश्योरेंस क्लेम न लेने से एक और फायदा होता है। जुटाए गए बोनस के नई कार की खरीद पर ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसे में इस बात का ख्याल रखें कि पुरानी कार जब भी बेचे तो इंश्योरेंस अपने नाम पर बनाए रखें। नो-क्लेम सर्टिफिकेट इंश्योरर से लेना बेहद जरूरी है। ऐसे में अगर दूसरी कार खरीदने में थोड़ा टाइम लग रहा है तो बोनस को रिजर्व करा लें। नो-क्लेम बोनस पॉलिसी खत्म होने के तीन साल के ट्रांसफर कराई जाती है।

खरीदने से पहले तुलना करें:
आज के दौर में सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन कवर ऑफर दे रही हैं, लेकिन कोशिश करें कि 'फ्री' इंश्योरेंस के जाल में न फंसें। यह कवर 1 साल तक ही फ्री रहता है। इसमें कोई बदलाव भी नहीं हो सकता है। मॉडिफिकेशन कराने पर इंश्योरेंस के कवर का फायदा इस ऑफर में नहीं है। इसके लिए जरूरी है आप इन कंपनियों के ऑफर की तुलना करके ही डील करे। इससे आपका सालाना प्रीमियम कम होगा।

ऐंटि-थेफ्ट डिवाइस:
चोरी की घटनाओं को देखते हुए कार में सेफ्टी फीचर्स इंस्टॉल कराना बेहद जरूरी हैं। जिसमें गियर लॉक, स्टीयरिंग लॉक या ऐंटि-थेफ्ट अलार्म आदि खरीदकर लगाने से फायदे में रहेंगे। इससे सालाना प्रीमियम में करीब 5 पर्सेंट की कमी का लाभ मिल सकता है। इतना ही नहीं ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया या वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोसिएशन संस्थाओं से जुड़ने पर प्रीमियम पर स्पेशल डिस्काउंट मिल सकता है। इनके मेंबर्स 'सेफ' ड्राइवर की श्रेणी में आते हैं।

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