बर्फ़बारी और हिमस्खलन ने घाटी में भारी तबाही मचाई है. घरों और बगानों को भारी नुक़सान पहुंचा है.
श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर ने बताया कि दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम के पास स्थित गांव में सात लोग मारे गए हैं.
राज्य आपदा प्रबंधन के एक उच्च अधिकारी ने बताया, ''स्थानीय हवाई अड्डा बंद करना पड़ा है और राज्य को शेष भारत से जोड़ने वाला सड़क मार्ग बंद हो गया है. इसे फिर से शुरू करने की कोशिशें की जा रही हैं.''
फोन और इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
बचाव कार्य
इस बीच बीमार चल रहे अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की सेहत को लेकर भी अफ़वाहों का दौर शुरू हो गया है.
85 वर्षीय गिलानी को उपचार के लिए दिल्ली ले जाया जा रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को दूरदराज़ इलाक़ों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए हैलिकॉप्टर मुहैया कराने का आदेश दिया है.
अब्दुल्ला ने नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा है, ''किसी भी फंसे हुए व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राज्य सरकार ने हैलिकॉप्टर तैनात करने के निर्देश दिए हैं.''
ख़तरा बरकरार
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने स्थानीय पुलिस के हवाले से कहा है कि लद्दाख क्षेत्र में आने वाले कारगिल में दो जवान बर्फ़ में दब गए हैं.
हिमस्खलन से सबसे ज्यादा प्रभावित कश्मीर का दक्षिणी हिस्सा है.
बर्फ़बारी के चलते पहले ही घाटी में विश्वविद्यालय और स्कूल बंद कर दिए गए हैं और परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं हैं.
तीन नेपाली मजदूरों के भी ग़ायब होने की ख़बर है लेकिन अभी तक पुलिस घटनास्थल पर पहुंचने में सफल नहीं हो पाई है.
अधिकारियों का कहना है कि हिमस्खलन की संभावना अब भी बनी हुई है.
दूरसंचार की लाइनें ठप होने और दुर्गम इलाका होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य सुचारु रूप से नहीं हो पा रहा है.
समाचार एजेंसी ने सुपरिटेंडेंट इम्तियाज़ हुसैन के हवाले से कहा है कि अब तक 50 लोगों को बचाया गया है.
घाटी में अंधेरा
राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मंगलवार को हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी.
मंगलवार से ही घाटी के ज्यादातर इलाक़ों में बिजली की आपूर्ति भी ठप है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्दियों में कश्मीर में हिमस्खलन की घटना सामान्य है लेकिन मार्च के मध्य में भारी बर्फ़बारी हैरान करने वाली है.
2012 में भारत-पाक सीमा के पास गुरेज सेक्टर में सैन्य शिविर के पास हुए हिमस्खलन के दौरान सेना के 13 जवान मारे गए थे.
2010 में हिमस्खलन और बर्फीले तूफ़ान में गुलमर्ग के पास सेना के 17 जवान बर्फ में दब गए थे.
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