डिटेक्टर इकॉनोमी की आलोचना

पोप फ्रांसिस ने साल 2013 में दी हुई अपनी स्पीच में साफ किया है कि वह डिटेक्टर इकोनोमी के सख्त खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान आर्थिक नीतियां मानवता के खिलाफ हैं और एक तानाशाह के आदेश की भांति आम लोगों पर थोपी जाती है।

चर्च की आलोचना से भी पीछे नहीं

पोप फ्रांसिस ने पोप चुने जाने के छह महीने भीतर ही इस बात के संकेत देने शुरु कर दिए थे कि वह रोमन कैथोलिक चर्च को भी बख्शने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चर्च एबॉर्शन, सेम-सैक्स मैरिज और गर्भनिरोध पर काफी सख्त है। यह इंसानों पर नैतिक पुलिस की तरह काम कर रहा है जबकि इसे मानवता की सेवा में अपनी मेहनत लगानी चाहिए। इसके अलावा पोप फ्रांसिस ने कहा कि चर्च में शक्ति का केंद्रीयकरण नहीं होना चाहिए। पोप को बिशप, आम लोगों और महिलाओं के साथ सहभागिता बढ़ानी चाहिए।

चर्च की लीडरशिप को चुनौती

पोप रोमन कैथोलिक चर्च की लीडरशिप को भी चुनौती दिखाई पड़ते हैं। चर्च में उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों पुराने भ्रष्ट लोगों की जगह नए मॉडरेट लोगों को जगह दी है। इसके साथ ही वेटिकन ब्यूरोक्रेसी में व्याप्त रायवलरीज को भी तोड़ने का प्रयास किया है।

फिलिस्तीन का समर्थन

गाजा पट्टी में फिलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रही जंग को रोकने के लिए पोप फ्रांसिस वेस्ट बैंक पहुंचने वाले पहले पोप बने। वेस्ट बैंक पहुंचकर फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले वह पहले पोप भी बने। उन्होंने दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को समझौते के लिए वेटिकन सिटी बुलाया था।

डायवोर्स पर चर्च को दी चुनौती

पोप फ्रांसिस ने डायवोर्स के प्रति चर्च के रवैये में बदलाव पर एक गंभीर बहस छेड़ दी। हालांकि उन्होंने शादी के स्थायी स्वरूप पर चर्च की राय को बरकरार रखा।

सैक्स अपराधों पर के लिए विशप को ठहराया दोषी

पोप फ्रांसिस ने एक ट्रिब्युनल बनाने की अनुमति दी जो पुजारियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण के मामलों को दबाने वाले बिशपों पर कार्रवाई करेंगे। पोप फ्रांसिस के पहले किसी भी पोप ने ऐसे बिशपों के विरुद्ध कदम नहीं उठाया था।

लिबर्टन थिओलजी को बढ़ावा

पोप फ्रांसिस ने अल सल्वाडोर के आर्कबिशव ऑस्कर रोमेरो को संत की उपाधि दिए जाने का रास्ता साफ किया। इस समारोह में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया है। संत रोमेरो की हत्या कर दी गई थी।

क्लाइमेट चेंज पर खासा दखल

पोप फ्रांसिस ने पर्यावरण को पैदा हो रहे खतरों के मामलों में खासा दखल दिया है। 18 जून को रिलीज हुए पत्र में फ्रांसिस ने कहा है कि राजनीति, अर्थशास्त्र और व्यक्तिगत जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है जिससे क्लाइमेट चेंज के मुद्दे को संभाला जा सके।

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