FIS Consumer Banking PACE Index द्धारा संचालित ये अध्ययन नौ देशों के 9000 लोगों पर किया गया। जिसमें 1000 भारतीय परिवार भी शामिल थे। इस स्टडी में लोगों से ये उनके मापदंड के आधार पर येक जानने का प्रयास किया गया था कि क्या उनके बैंक उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार उनकी अपेक्षायें पूरी कर पाते हैं। इसके लिए सर्वे कर्ताओं ने प्राथमिकताओं को 18 विशेषताओं में बांटा और उसके आधार पर बैंक की पर फार्मेंस को जज करने के लिए कहा।
 
इस सर्वे में 68 अंक हासिल किए जो औसत के क्रम से नीचे था। औसत अंक 73 रखे गए थे। भारत से नीचे ब्राजील, थाइलैंड और शामिल किए गए दो और विकासशील देश रहे रहे। भारतीय ग्राहकों की सूची में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही जबकि उसके बाद इंटरनेट द्धारा कनेक्टिविटी, मोबाइल बैंकिंग और व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा का नंबर आया।

FIS Global Survey

कई मानकों पर भारतीय ग्राहकों ने बैंकिंग सेवाओं को अपेक्षित स्तर से नीचे घोषित किया। इनमें जिन मुद्दों पर बैंको की सेवाओं को असंतोष जनक बताया गया उनमें ईमानदारी यानि हिडन चार्जेस की समस्या, कनज्यूमर के फाइनेंशियल गोल्स को पाने में मदद ना कर पाना और ग्राहकों की पहचान ना कर पाना प्रमुख कारण थे। वहीं भारतीय ग्राहकों ने डिजिटल और पर्सनलाइज्ड सेवाओं में बैंको को अपेक्षा से बेहतर काम करने वाला बताया।

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