कड़े प्रावधान किए गए

लोकसभा ने आधार विधेयक में राज्यसभा द्वारा सुझाए पांचों संशोधनों को खारिज करने के बाद उसे कल पारित कर दिया है। लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हुए विधेयक-2016 को लेकर सबसे पहले विपक्ष की सभी आंशकाओं को दूर किया गया। इस दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को इसकी निजता व सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। उनका कनहा है कि निजता की सुरक्षा के लिए विधेयक में कड़े प्रावधान बनाए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि एक आम नागरिक तक सरकारी सुविधाएं पहुंचाने का आधार एक बड़ा मजबूत जरिया है। इससे लोगों को सब्िसडी व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ एक क्िलक पर आसानी से मिल सकेगा। इस दौरान विपक्ष के हंगामें को शांत कराने के लिए उन्होंने अमेरिका का उदाहरण भी दिया।

वॉकआउट कर दिया

इससे पहले राज्यसभा में लंबी बहस के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच लंबी बहस हुई। विपक्ष इसको लेकर लगातार निजता भंग होने का मुद्दा उठा रहा था। जबकि सरकार पूरा भरोसा दिला रही थी। सबसे खास बात तो यह है कि वित्त विधेयक होने के बावजूद विपक्ष की ओर से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक संशोधन प्रस्ताव रखे गए थे। हालांकि इसके बाद पांच संशोधनों पर मत विभाजन कराना पड़ा। वहीं सपा, बसपा, बीजद और तृणमूल ने मत से इंकार कर वॉकआउट कर गए। ऐसे में इसके बाद सरकार ने फिर इसको लेकर लोकसभा का रुख किया। यहां पर एक बार फिर विधेयक को इसके मूल स्वरूप में पेश किया। यहां पर अरुण जेटली ने हर सवाल का जवाब दिया।

विपक्ष के सवाल

विपक्ष ने आधार को लेकर पांच बड़े मुद्दे उठाए थे। जिनमें उसका कहना था कि 'आधार' पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। इसलिए यह सदन के विधायी अधिकारों के दायरे से बाहर है। इसे धन विधेयक के रूप में कैसे पेश किया गया। लोगों से जुड़े आंकड़ों को भला वित्त विधेयक कैसे कहा जा सकता है? इसके अलावा इससे व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी। व्यक्ति की गोपनीयता भंग होने की आशंका है। किसी व्यक्ति को आधार नंबर रखने अथवा नहीं रखने का अधिकार होना चाहिए। व्यक्तिगत सूचनाओं को साझा न करने की कोई गारंटी नहीं है। इसके लिए कोई समुचित प्रावधान नहीं है। वहीं सरकार ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब दिया।

सरकार का जवाब

सरकार का कहना था कि लोकतंत्र में शक्तियां अलग-अलग होती हैं। अदालत के पास सिर्फ न्यायायिक समीक्षा का अधिकार है।  अगर मूल उद्देश्य खजाने से धन खर्च करने के एक विशेष तरीके से है और इसके लिए कोई मशीनरी बनाई जाती है, तो यह वित्त विधेयक है। आधार के आंकड़ों को राष्ट्रीय सुरक्षा के अलावा किसी अन्य चीज केलिए सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहेगा, तो उसके लिए आधार होना जरूरी होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जानकारी साझा करने का फैसला एक प्राधिकरण करेगा, जिसका मुखिया एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होगा। प्राधिकरण के फैसलों की समीक्षा कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी। कुछ बायोमीट्रिक आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।

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