राज्य में आम आदमी पार्टी के चुनाव समन्वयक एसएस बिष्ट ने इस पूरे वाक़ये के बारे में बीबीसी को बताया, ''ये घटना 19 अप्रैल की है. चीमा अपने साथियों के साथ प्रचार कर रहे थे. रुद्रपुर के पास एक चौराहे पर भाजपा के कुछ लोगों ने लाठियों से उन पर हमला करने की कोशिश की. लोग चले गए और मामला शांत हो गया.''

वे बताते हैं, ''20 अप्रैल को पुलिस के एक सर्किल ऑफिसर आते हैं और चीमा की प्रचार गाड़ी को रोककर गाड़ी के काग़ज़ात मांगे. ड्राइवर ने काग़ज़ात दिखाए लेकिन सर्किल ऑफिसर ने उन्हें फेंक दिया और गाड़ी ज़ब्त कर ली.''

चुप्पी आख़िर क्यों

बिष्ट बताते हैं कि अगले दिन चीमा ने जब ज़िला निर्वाचन अधिकारी से इसकी शिक़ायत की तो उन्होंने गाड़ी को छोड़ने का आदेश दिया गया, लेकिन आदेश के बावजूद पुलिस ने गाड़ी नहीं छोड़ी जिसके विरोध में चीमा धरने पर बैठ गए और पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया.

बिष्ट का दावा है कि चीमा की गिरफ्तारी असंवैधानिक है, इसलिए उन्होंने अपनी ज़मानत की अर्ज़ी नहीं दी है और वे अब जेल में बंद रहकर ही चुनाव लड़ेंगे.

बिष्ट का कहना है कि इस पूरे मामले से आम आदमी पार्टी के आला नेताओं को अवगत कराया गया है.

उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को इस मामले पर बोलना चाहिए, जो इस मामले पर अब तक ख़ामोश हैं.

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