रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय।।

फोन काटते ही हथेलियों से ढक लिया चेहरा

उत्कर्ष ने किसी से बात करने के बाद गुस्से में मोबाइल काटते हुए अपनी हथेलियों से मुंह ढक लिया. उसकी सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट रति ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, 'क्या हुआ उत्कर्ष? कोई प्रॉब्लम...?' उत्कर्ष ने रूमाल से आंखें और मुंह पोछ कर एक लंबी सांस ली और रूंधे गले से कहा, 'कुछ नहीं...' इससे ज्यादा वह नहीं बोल पाया और बाहर निकल गया. थोड़ी देर बाद वह ओपीडी में आया और मरीज देखने लगा. मरीज देखते हुए वह नॉर्मल दिखने की नाकाम कोशिश कर रहा था. रति समझ गई थी कि भावनाओं पर काबू पाना उसकी उम्र और तजुर्बे से मेल नहीं खा रही थी. ओपीडी खत्म होने पर रति ने उससे रिलेशनशिप पर हल्की-फुल्की बातें करने लगी. इस बार उत्कर्ष अपने को ज्यादा देर नहीं रोक सका. आखिर मन की बात निकलवाने में रति एक्सपर्ट जो थी. बातों-बातों में वह लोगों को ऐसे शीशे में उतारती कि सामने वाला चाबी भरे तोते की तरह बोलने लगता था. उत्कर्ष फूट पड़ा, 'क्या बताऊं एक्स मैम.' सब रति को प्यार से एक्स नाम से बुलाते थे. यह नाम उसे ऐसे ही नहीं दिया गया था. रति थी भी ऐसी ही. यहां जब कोई ऐसा क्रिटिकल केस आता कि काफी कोशिश के बावजूद मरीज बोलने को तैयार नहीं होता तो रति उससे सब उगलवा लेती थी. ह्यूमन बिहेवियर ट्रीटमेंट में यह खास बात है कि मरीज जब तक अपनी बातें शेयर नहीं करता उसकी काउंसलिंग नहीं हो सकती. पहले उसके मन का गुबार निकाला जाता है तभी वह सलाह की खुराक ले पाता है. रति इसमें एक्सपर्ट थी. इसलिए सब उसे 'एक्स रे मशीन' शार्टकट में 'एक्स' बोलते थे.

फोन पिक नहीं करती, वाट्सएप पर रिस्पांस नहीं देती

रति ने कहा, 'अरे बताओगे नहीं तो तुम्हारे जॉब पर असर पड़ेगा. अभी तो तुम प्रोबेशन पर हो और ओपीडी में ऐसा बिहेवियर... कैसे चलेगा...' उत्कर्ष बोला, 'एक्स मैम, कॉलेज से ही मैं एक रिलेशनशिप में हूं. एक महीने से वह मुझे भाव नहीं दे रही. मेरा फोन पिक नहीं करती, वॉट्सएप या एसएमएस का रिस्पांस नहीं देती. यहां तक कि एफबी मैसेंजर पर मुझे ब्लॉक तक कर दिया है. मुझे लगता है कहीं वह किसी और के...' रति ने पूछा, 'क्या नाम है उसका?' उत्कर्ष ने कहा, 'गार्गी नाम है. हम दोनों कॉलेज में ग्रेजुएशन फस्र्ट ईयर से ही दोस्त हैं. घर भी आना-जाना है. उसके घर वाले मुझे और मेरी मॉम उसे बहुत लाइक करते हैं. यहां आ रहा था तो स्टेशन छोडऩे भी आई थी.' रति ने कहा, 'हो सकता हो वह बीमार हो. ऐसा कई बार होता है. तुम्हें उसके घर वालों से बात करनी चाहिए.' उत्कर्ष ने कहा, 'बात की थी. वह ठीक है. लास्ट वीक मॉम से भी मिल कर गई थी, ऐसी कोई बात नहीं. मॉम ने बताया था वह किसी हैंडसम लड़के के साथ मिलने आई थी.' रति ने कहा, 'अब मामला समझ आया. ट्रेनिंग पीरियड में तुमने उससे एक बार भी बात नहीं की होगी. और रेनू ने कैंपस में वन महोत्सव के दौरान काजल के साथ प्लांटेशन करते तुम्हारी जो पिक एफबी पर शेयर करवा दी थी, उससे मामला और बिगड़ गया होगा.' उत्कर्ष ने कहा, 'ओ माई गॉड! ये तो मैंने सोचा ही नहीं था. उस पिक को देखकर तो कोई भी... अब क्या होगा एक्स मैम?' रति ने कहा, 'कोई बात नहीं बेबी. शाम को घर चलना. हसबैंड भी होंगे, तुम्हारा मामला हम दोनों मिलकर वहीं फिट करेंगे. डोंट वरी, चियर अप. अरे! अब तो मुस्कुरा दो. तुम रोंदू बिल्कुल अच्छे नहीं लगते.'

फिर क्या प्रॉब्लम? अभी उसे एंगेजमेंट का मैसेज करो

शाम को उत्कर्ष रति के साथ ही उसके घर चला गया. कॉल बेल बजी तो रति के हसबैंड ने दरवाजा खोला. रति ने हसबैंड विनोद का उत्कर्ष से इंट्रोडक्शन करवाया. उन्होंने मुस्कुरा कर कहा, 'हलो उत्कर्ष! मैं इसे जानता हूं. वन महोत्सव में मिलवा तो चुकी हो. ओपीडी में तुम्हें असिस्ट करता है.' फ्रेश होने के बाद रति कॉफी बनाकर लाई. विनोद ने चुटकी ली, 'क्या बात है! आज साइकोलॉजिस्ट टीम... मेरी खैर तो है ना?' रति थोड़ा सीरियस होकर बोली, 'विनोद तुम भी ना... बेचारे की गर्लफ्रेंड ने इसकी वॉट लगा रखी है और तुम...' विनोद बोला, 'सॉरी डार्लिंग, मैं तो यूं ही... खैर छोड़ो. उत्कर्ष भई एकदम सही जगह आए हो. कॉलेज के दिनों में जब भी मैं 'भटकता' था तो यह मुझे तुरंत रास्ते पर ला देती थी. मुझे जलाने के लिए किसी दूसरे लड़के के साथ मूवी जाने के लिए टिकट खरीद लाती लेकिन साथ मैं ही जाता था.' रति ने कहा, 'देखो विनोद सही कह रहा है. तुम्हारी सिचुएशन देखते हुए तो यही लग रहा है.' उत्कर्ष ने पूछा, 'वो तो ठीक है लेकिन वह हैंडसम लड़का?' रति बोली, 'अरे यार, होगा कोई. बाद में देखेंगे. पहले ये बताओ इस रिलेशनशिप को लेकर तुम कितने सीरियस हो? तुम्हारे पेरेंट्स को कोई प्रॉब्लम तो नहीं?' उत्कर्ष बोला, 'हम दोनों सीरियस हैं. पेरेंट्स तो हमसे ज्यादा सीरियस हैं.' रति ने कहा, 'फिर क्या प्रॉब्लम. तुरंत उसे एंगेजमेंट के लिए मैसेज करो. खुद कॉल करेगी.' उत्कर्ष ने अपने दिल की बात एक रिंग के साथ वॉट्सएप कर दिया. थोड़ी देर बाद ही उसका स्काईप रिंग करने लगा. उसने मोबाइल देखा तो एक्साइटेड होकर बोला, 'वॉव ग्रेट मैम! इट वक्र्स. उसी का फोन है.'' रति ने कहा, 'बेबी! फोन तो रिसीव करो.' उत्कर्ष ने बटन प्रेस किया तो स्क्रीन पर गार्गी थी, 'लव यू उत्कर्ष, इस रिलेशनशिप को नाम देने में तुमने कितना टाइम लगा दिया! खैर छोड़ो मैं बहुत खुश हूं.' उत्कर्ष ने कहा, 'लव यू टू. हम तो पहले से ही कमिटेड थे. खैर पहले ये तो बताओ मेरा फोन पिक क्यों नहीं कर रही थी? तुम जानती हो! मेरा क्या हाल था.' उधर स्क्रीन पर गार्गी हंस रही थी, 'बेटू, तुम्हें सबक सिखाना जरूरी था. वो एफबी वाली पिक में किसके साथ प्लांटेशन कर रहे थे? बड़ा रोमांटिक हो रहे थे.'  उत्कर्ष बोला, 'और लास्ट वीक तुम मॉम के साथ किस हैंडसम के साथ गई थी?' स्क्रीन पर गार्गी की हंसी गूंजने लगी, 'ओ! तभी कहूं कि जलने की बू कहां से आ रही है. अरे यार! वो मेरा कजिन था. चेन्नई से बीटेक कर रहा है. तुम्हे जलाने के लिए ही साथ ले गई थी. जानबूझ कर आंटी से कहा था कि तुम्हें जरूर बताएं.' उत्कर्ष ने कहा, 'तो तुम सब ने मुझे मामू बनाया. और यहां मेरी हालत... खैर ये लो मेरी मैम और उनके हसबैंड से बात करो. पैचअप इन्होंने ही कराया है.' स्क्रीन पर गार्गी ने मुस्कुराते हुए हाथ हिलाया, 'हलो मैम, हलो सर, थैंक्स कि आप लोगों ने इसे अकल दी.' दोनों ने गार्गी को विश किया और रति बोली, 'हाय गार्गी, आज तो तुम्हारा फोन कटने के बाद बच्चू की हालत ना देखते ही बन रही थी. तो इंगेजमेंट कब प्लान करोगे?' गार्गी थोड़ा सीरियस होकर बोली, 'मैम, नेक्स्ट मंथ इसके बर्थडे पर एंगेजमेंट और मेरे बर्थडे पर शादी. तो आपलोग आ रहे हैं ना?' दोनों ने कहा, 'हां-हां, अफकोर्स.'

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Story by: Satyendra Kumar Singh