6000 स्कूल वैन राजधानी में
2000 स्कूल बस राजधानी में
40 हजार स्टूडेंट करते हैं सफर
- अनफिट स्कूली वाहनों पर नहीं जा रही प्रवर्तन दस्ते की नजर
- सीएनजी किट के ऊपर सीट लगाकर बैठाए जा रहे हैं स्टूडेंट्स
LUCKNOW: बच्चों की सेफ्टी के लिए सीएम योगी ने स्कूली वाहनों की नई गाइडलाइन अप्रूव की है लेकिन प्रवर्तन दस्ते अपनी लापरवाही से बच्चों की जान मुसीबत में डाल रहे हैं। आलम यह है कि अनफिट स्कूली वाहन खुलेआम राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहे हैं और इन्हें रोका नहीं जा रहा है। मोहनलाल गंज में स्कूली वैन में लगी आग से यदि बच्चे कूद कर वैन से न भागते तो यहां एक बड़ा हादसा हो सकता था।
बनी थी नई गाइड लाइन
अप्रैल 2018 में कुशीनगर में स्कूली वैन हादसे का शिकार हुई थी और इसमें 13 स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद सीएम योगी ने स्कूली वाहनों के लिए नई गाइडलाइन बनाने का आदेश दिया था। तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पी गुरु प्रसाद के निर्देश पर एडीशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर राजस्व अरविंद पांडेय ने इसे तैयार किया और बीते 27 मई को कैबिनेट ने इस पास भी किया।
बिना मानकों के फिटनेस
हैरानी की बात तो यह है कि इसके बाद भी राजधानी में नए मानक तो छोडि़ए पुराने मानकों का ही पालन स्कूली वाहन नहीं कर रहे हैं। सीएनजी किट के ऊपर सीट लगाकर स्कूली बच्चों को बैठाया जा रहा है। हर साल सीएनजी किट की जांच जरूरी है लेकिन वाहन संचालक इसकी जांच नहीं कराते हैं। जबकि सीएनजी किट लगाने या ठीक कराने के लिए डीलर तय किए जा चुके हैं। राजधानी में इसके करीब दो दर्जन डीलर हैं।
कोट
प्रदेश में डग्गामार बसों को लेकर अभियान चल रहा है। जल्द ही स्कूली वाहनों के लिए अभियान शुरू होगा। बच्चों की सुरक्षा को लेकर कहीं चूक मिली तो वैन संचालक का परमिट रद किया जाएगा।
आरपी द्विवेदी, आरटीओ
लखनऊ परिवहन विभाग
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सीएनजी को लेकर क्या हैं नियम
- हर साल करानी होती है सीएनजी किट की जांच
- किट के ऊपर सीट लगाकर बच्चें नहीं बैठाए जा सकते
- अधिकृत सर्विस सेंटर से ही ठीक या बदलवाई जा सकती है किट
- सीएनजी किट में कमी पर वैन की फिटनेस रद हो जाती है
- किट की चेकिंग कब हुई और कब होनी है इसकी जानकारी भी वैन के गेट पर होनी चाहिए
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इन नियमों का भी रखें ध्यान
- 10 साल से अधिक पुराना न हो स्कूली वाहन
- ड्राइवर-कंडक्टर के लिए वर्दी और नेम प्लेट अनिवार्य
- वाहनों में अलार्म और सायरन की व्यवस्था
- 40 किमी प्रति घंटे से अधिक न हो स्पीड