ये हैं फैक्ट्स
1. ज्यूपिटर सोलर सिस्टम का चौथा सबसे ज्यादा चमकने वाला प्लेनेट है। इसके अलावा जो अन्य प्लेनेट चमकते है वो हैं सूरज, चांद और वीनस।

2. इस प्लेनेट को देखने के लिए किसी यंत्र की जरूरत नहीं है। इसको आप नेकेड आंखो से भी देख सकते हैं।

3. 7वीं या 8वीं सेंचुरी बीसी की प्रजाति Babylonians ने सबसे पहले इस प्लेनेट को देखा था। इसका नाम रोमन देवताओं के राजा के नाम पर रखा गया है।
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4. ज्यूपिटर में बाकि प्लेनेट के मुकाबले सबसे छोटा दिन होता है। ये अपने एक्सिस पर हर 9 घंटे 55 मिनट में घूमता है। जल्दी-जल्दी रोटेशन करने के चक्कर में इसका आकार थोड़ा चपटा हुआ नजर आता है।

5. हर 11.8 अर्थ ईयर के बाद ये सूरज का एक चक्कर लगाता है।

6. ज्यूनिटर में जो बादल है वो थोड़े अलग प्रकार के हैं। इस प्लेनेट का सबसे ऊपरी वातावरण क्लाउड बेल्ट और जोन में डिवाईडेड हैं। ये अमुमन क्रिस्टल, सलफर आर दो कंपाउंड के मिक्चर से बना हुआ है।
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7. ज्यूपिटर का अंदरूनी हिस्सा चट्टान, मेटल और हायड्रोजन कम्पांड से बना हुआ है।

8. ज्यूपिटर पर पाए जानें वाला रेड स्पॉट दसअसल एक बड़ा तूफान है जो कम से कम 350 सालों से ऊफान पर है। ये तूफान इतना ज्यादा बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वी समा सकती हैं।
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9. ज्यूनिटर का संद्रमा गेनीमेड सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा चांद है। इसका मेजरमेंट 5,268 किमी है।

10. अब तक आठ स्पेसक्राफट ज्यूपिटर प्लेनेट का भ्रमण कर चुकी हैं।

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