- उत्तराखंड के 16 निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों के 3500 स्टूडेंट्स और उनके परिवार धरने पर

- 20 दिन से स्टूडेंट्स कर रहे विरोध, कर्ज और फर्ज की स्टूडेंट्स को सता रही चिंता

देहरादून,

तस्वीर में दिख रहीं ये डेड बॉडीज नहीं हैं, ये आयुष के वे स्टूडेंट्स हैं जो फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग पर पिछले तीन हफ्ते से आंदोलन कर रहे हैं। ये इनके आंदोलन का अनूठा तरीका है, ताकि सरकार के कानों तक इनका प्रोटेस्ट पहुंचे और इन्हें महंगी फीस से छुटकारा मिले। मंडे को प्रोटेस्ट कर रहे चार आयुष स्टूडेंट्स ने खुद को सफेद कपड़े से कवर कर डेड बॉडी की तरह लेटकर प्रदर्शन किया। इनके चारों ओर दूसरे स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने फीस वृद्धि वापस लेने की मांग पर जोरदार नारेबाजी की। स्टूडेंट्स ने कहा कि सैटरडे को पुलिस ने जिस तरह अंधेरे में जबरन स्टूडेंट्स को धरने से उठाया गया, मारपीट की गई। ऐसी स्थिति में किसी भी स्टूडेंट को जान से हाथ धोना पड़ सकता है।

मां बाप का कर्ज, कैसे चुकाएगा फर्ज

20 दिन से निजी आयुष कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ स्टूडेंट्स ही नहीं पैरेंट्स भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन में उत्तराखंड के 16 आयुर्वेदिक कॉलेजेज के 3500 स्टूडेंट्स के परिवार अपना काम काज छोड़ स्टेट गवर्नमेंट के खिलाफ धरना दे रहे हैं। कोई अपनी इकलौती बेटी के डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए धरना दे रहा है, तो किसी का पूरा परिवार लोन चुकाने की टेंशन में धरना स्थल पर डेरा डाले हुए हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए पैरेंट्स ने कर्ज लिया है। अब पैरेंट्स के लिए हुए कर्ज को आयुर्वेदिक डॉक्टर बनकर बच्चों को पूरा करना है, लेकिन भविष्य अधर में फंस गया है।

फीस बढ़ाने की मंशा है पुरानी

14 अक्टूबर 2015

राज्य सरकार ने जीओ जारी कर प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेजों में ट्यूशन फीस 80 हजार रुपये से बढ़ाकर सवा 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष कर दी थी। जीओ जारी होते ही कॉलेजों ने स्टूडेंट्स पर बढ़ी हुई फीस पे करने का दबाव बनाना शुरू किया। इसके खिलाफ हिमालय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज भानियावला थर्ड इयर के स्टूडेंट ललित तिवारी ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

26 दिसंबर 2016

हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने फीस वृद्धि के फैसले पर स्टे लगा दिया। हालांकि, इसके बाद भी कॉलेज बढ़ी हुई फीस स्टूडेंट्स से वसूलते रहे।

9 जुलाई 2018

हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि शुल्क निर्धारण समिति के निर्णय के बिना फीस नहीं बढ़ाई जा सकती। अगर समिति ने शुल्क बढ़ाया भी तो नए बैच के लिए लागू होगा। इसके बाद निजी आयुष कॉलेजेज की यूनियन ने डबल बैंच में याचिका दायर की।

9 अक्टूबर 2018

हाई कोर्ट की डबल बैंच ने सिंगल बैंच के फैसले को बरकरार रखा। बावजूद इसके कॉलेज लगातार स्टूडेंट्स पर दबाव बनाकर बढ़ी हुई फीस की डिमांड करते रहे। बढ़ी फीस पे न करने पर स्टूडेंट्स को एग्जाम में न बैठाने की वार्निग दी गई है, वहीं ऐसे स्टूडेंट्स को अटैंडेंस भी नहीं लगाई गई।

केस 1- पहले लोन लिया, अब क्या करें

प्रखर मिश्रा, यूपी 2017 बैच

यूपी के लखीमपुर खीरी से डॉक्टर बनने का सपना लेकर प्रखर ने देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद में एडमिशन लिया। प्रखर के पिता खेती-बाड़ी कर घर चलाते हैं। घर में प्रखर के अलावा दो और भाई हैं। प्रखर ने बताया कि घर का खर्चा चलाने के लिए परिवार ने गांव के पास ही एक खोखा बनाकर दुकान खोली हुई है। पढ़ाई के लिए लोन लिया हुआ है, ऐसे में तीन गुना फीस कैसे भरी जाए, इसकी चिंता है।

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केस 2- पूरा परिवार है तनाव में

शांतनु नेगी, विकासनगर, 2017 बैच

विकासनगर निवासी शांतनु उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में 2017 बैच का स्टूडेंट है। शांतनु के पिता फोटोग्राफी कर घर चलाते हैं। इनके घर में एक छोटा भाई है, जो 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। शांतनु ने बताया कि पिता ने इधर-उधर से पैसे जमा कर एडमिशन करवाया। जब पैसे कम पड़े तो 10 लाख का लोन लेना पड़ा। इस पर अब कॉलेज ने भी फीस बढ़ा दी है। अब कर्जा कहां से लें, पूरा परिवार मानसिक तनाव में है। कॉलेज ने इस कदर लूट मचा रखी है कि लोन लेने के लिए डिमांड लेटर के भी 100 रुपए वसूले जाते हैं।

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केस 3- पैरेंट्स ने भी संभाला धरने पर मोर्चा

- नीलम तिवारी, ऋषिकेश

ऋषिकेश की रहने वाली नीलम तिवारी ने अपने बेटे शिवम का दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एडमिशन करवाया। पति की ऋषिकेश में छोटी सी दुकान है, जिससे किसी तरह घर चलता है। बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए उन्होंने लोन लिया। एक बेटी की पहले शादी कर चुके हैं, दूसरा बेटा फॉर्मेसी कर रहा है। अब कॉलेज ने फीस अचानक बढ़ा दी है, जिसके विरोध में बेटे के साथ नीलम खुद परेड ग्राउंड में धरना दे रही हैं।

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केस 4- बेटी को यहां एडमिशन दिला कर फंस गए

अंजना गुप्ता, दिल्ली

दिल्ली की रहने वाली अंजना गुप्ता पूरे परिवार के साथ बीते कई दिनों से परेड ग्राउंड में धरना दे रहे हैं। अंजना की एक ही बेटी है, बेटी आइया दून इंस्टि्टयूट से बीएएमएस की पढ़ाई कर रही है। अंजना बताती हैं कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए उत्तराखंड को चुना। लेकिन कॉलेज वालों की मनमानी इस कदर हावी है कि हमें अफसोस हो रहा है यहां क्यों एडमिशन ले लिया।

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स्टूडेंट्स के आंदोलन पर एक नजर

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पिथौरागढ़ में टीचर व बुक्स के लिए आंदोलन

इसी वर्ष जुलाई में पिथौरागढ़ पीजी कॉलेज के स्टूडेंट्स ने टीचर व बुक्स की मांग पर 37 दिन तक आंदोलन किया था। हाई कोर्ट ने भी इस आंदोलन का संज्ञान लिया। स्टूडेंट्स की मांग थी कि कॉलेज टीचर्स के रिक्त पदों पर नियुक्तियां करे और लाइब्रेरी में पुरानी और आउट ऑफ कोर्स हो चुकी 15 हजार बुक्स के स्थान पर नई बुक्स उपलब्ध कराई जाएं। स्टूडेंट्स के आंदोलन को देखते हुए कुमाऊं यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। केएस राणा की ओर से स्टूडेंट्स के यूनिवर्सिटी से संबंधित समस्याओं के लिए नोडल ऑफिसर अप्वॉइंट किया गया।

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एमबीबीएस स्टूडेंट्स का आंदोलन

मार्च 2018 में एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स द्वारा मुख्य गेट पर 14 दिन तक धरना दिया। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट ने एमबीबीएस फ‌र्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स को नोटिस सर्व किया था। जिसमें एमबीबीएस की एक साल की फीस चार लाख से 19 लाख रुपये कर दी गई है। नोटिस मिलते ही स्टूडेंट्स विरोध शुरू कर मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गये। निजी मेडिकल विवि संयुक्त अभिभावक संघ के मुख्य संरक्षक रवींद्र जुगरान ने पूरे मामले में मोर्चा खोला और कोर्ट का भी दरवाजा भी खटखटाया। मामला उछलने से किरकिरी हुई तो सरकार बैकफुट पर आई और फीस वृद्धि का फैसला वापस लेना पड़ा।