देहरादून (ब्यूरो) खास बात यह है कि अभी तक यही पता है कि एसटीपी से ट्रीटमेंट वाटर में भी सीवर बहता है। ये पानी पूरी तरह गंदा होता। लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं सीवर में फीकल कालीफॉम की मात्रा लाखों में होती है, लेकिन सीवर ट्रीटमेंट के बाद 68 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) सीवर प्लांट कारगी का ट्रीटेट वाटर का फीकल कालीफॉम 1000 एमपीएम प्रति एमएल तक है। यही नहीं इस पानी का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 10 तक है। जो काफी मानकों के अनुरूप है।

35 एमएलडी पानी बह रहा फालतू
दून में मौजूद 115 एमएलडी सीवर प्लांट से ट्रीटेट होकर निकलने वाला वेस्ट वाटर बिंदाल और रिस्पना नदी में फालतू बह रहा है। जबकि इसे उपयोग में लाया जा सकता है। जल संस्थान के जीएम मुख्यालय डीके सिंह का कहना है कि एसटीपी के बाहर फिलिंग प्वाइंट बनाया गया है। यहां से कोई भी विभाग या फिर निजी व्यक्ति टैंकर से फ्री में पानी ले जा सकते हैं।

29 एमएलडी एसटीपी का निर्माण
एडीबी भी रायपुर, टीएचडीसी यमुना कालोनी, बंजारावाला, दौड़वाला, इंद्रापुरी क्षेत्र में तकरीबन 146 किमी। सीवर लाइन बिछा रहा है। साथ ही दुल्हनी नदी पर 18 और इंद्रापुरी में 11 एमएलडी एसटीपी का निर्माण भी एडीबी द्वारा किया जा रहा है। अभी तो मिड सिटी में ही सीवर लाइन कनेक्ट है आउटर के इलाकों में भी सीवर लाइनें बिछाई जा रही है, जिसके बाद आने वाले समय में एसटीपी की क्षमता दोगुनी हो जाएगी।

पीने का पानी हो रहा इस्तेमाल
अभी तक पीने के पानी का बाथरूम से लेकर सिंचाई, गार्डंनिंग, कंस्ट्रक्शन, फायर व अन्य कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है। इसमें यदि एसटीपी का पानी इस्तेमाल किया जाए तो पीने का करोड़ों लीटर पानी को बचाया जा सकता है। इस बार पानी की क्राइसिस को देखते हुए जल संस्थान भी एक्टिव हो गया है। जल संस्थान विभागों के साथ ही निजी स्तर पर भी लोगों को एसटीपी का पानी यूज करने की सलाह दे रहा है। साथ ही इसके लिए भविष्य में योजना भी बना रहा है।

एसटीपी का पानी ऐसे हो सकता है यूज
- आग बुझाने में
- बिल्डिंग्स निर्माण में
- गार्डनिंग में
- रोड साइट प्लांटेशन में
- रोड पर धूल से बचने को छिड़काव में
- कार, कपड़े व अन्य धुलाई कार्यों में

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