दून हॉस्पिटल के एमएस नशे की हालत में मिले थे आयोग की अध्यक्ष को

रेप पीडि़त बच्ची के परिजनों के साथ अभद्रता का भी है आरोप

देहरादून.

बाल आयोग की अध्यक्ष ने ट्यूजडे को दून हॉस्पिटल के एमएस डॉ. केके टम्टा की क्लास लगाई. दरअसल पिछले दिनों सैंदूल गांव की रेप पीडि़ता के मामले में हॉस्पिटल पहुंची बाल आयोग की अध्यक्ष को एमएस नशे की हालत में मिले थे. पीडि़ता के परिजनों ने भी उन पर शराब पीकर अभद्रता करने का आरोप लगाया था. उस समय आयोग की अध्यक्ष ने उन्हें हॉस्पिटल से वापस भेज दिया था, लेकिन ट्यूजडे को एक बार वे फिर ऑफिस पहुंची और डॉ. टम्टा की जमकर क्लास ली.

बच्ची को ठीक से इलाज नहीं किया

घटना के बाद जब नौ वर्षीय मासूम को इलाज की जरूरत थी और उसे दून अस्पताल लाया गया था तो यहां के डॉक्टरों ने बच्ची को तीन घंटे में ही वापस रिलीव कर दिया था. जबकि इस मामले पर पूछने पर अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि उन पर पुलिस का दबाव था. आरोप है कि जब मासूम को दोबारा अस्पताल लाया गया तो एमएस वहां शराब पीकर पहुंच गए और परिजनों से अभद्रता की.

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आयोग की टीम पहुंची

बाल आयोग की टीम ट्यूजडे को दून महिला अस्पताल पहुंची और एमएस के शराब पीकर अभद्रता करने पर नाराजगी जताई. इस दौरान टम्टा अपने पुराने कार्यो की उपलब्धि गिनाने लगे तो आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि पुराने कार्यो को भूल जाइए, लेकिन अस्पताल में शराब पीकर आना और फिर ऐसे गंभीर केस में परिजनों से अभद्रता करना कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आगे से ऐसी कोई शिकायत मिली तो सख्त कार्रवाई होगी.

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भीम आर्मी प्रेसीडेंट ने की मुलाकात

इस दौरान बच्ची के परिजनों से भीम आर्मी के प्रेजीडेंट चंद्रशेखर ने मुलाकात की. उन्होंने पूरा मामला सुना और फिर सैंदूल गांव के लिए निकल गए. उन्होंने कहा कि गांव जाकर पूरी स्थिति समझी जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्ची को न्याय दिलाया जाएगा. उसके साथ जो भी हुआ बेहद शर्मनाक है.

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संगठनों के मिलने से परेशानी

इन दिनों सुबह से शाम तक अलग-अलग संगठनों के लोग मासूम और उसके परिजनों से मिलने के लिए दून अस्पताल पहुंच रहे हैं. सुबह से रात तक यहां मिलने वालों का तांता लगा है. इतनी भीड़ देख बच्ची घबरा रही है और बीच-बीच में उसकी तबियत भी बिगड़ रही है. हालांकि इस दौरान वहां तैनात पुलिसकर्मी लोगों को समय-समय पर वहां से हटा भी रहे हैं लेकिन राजनीतिक संगठनों के लोगों पर उनका जोर नहीं चल पा रहा है तो वहीं अन्य लोग भी अपना रूबाब दिखाते हुए वहां घंटों टिके रहते हैं.

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बार-बार लापरवाही

दून अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से अक्सर ही ऐसे मामलों में लापरवाही दिखाई जाती है. सैंदूल गांव की नौ वर्षीय मासूम के मामले में भी दोनों ही बार लापरवाही भरा रवैया सामने आया. पहले इस बच्ची को तीन घंटे में ही अस्पताल से रिलीव कर दिया गया, जबकि बच्ची को तब इलाज की जरूरत थी. दूसरी बार बच्ची को एडमिट करने के दौरान अस्पताल के एमएस डा. केके टम्टा ने पहले तो झूठ बोला कि वह दून से बाहर हैं. फिर अस्पताल पहुंचे तो वह नशे की हालत में थे और नशे की हालत में भी उन्होंने परिजनों से अभद्रता कर दी. इन सभी बातों से ऐसे गंभीर मामलों में अस्पताल कितना गंभीर है ये खुद ही दिखता है.

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दून अस्पताल के डॉक्टरों का रवैया बेहद गलत है. शराब पीकर परिजनों से अभद्रता करने पर एमएस की ढंग से क्लास लगाई है. भविष्य में ऐसी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

ऊषा नेगी, अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग