दिल्ली में एप बेस्ड सभी कैब कंपनियों पर बैन कांटीन्यू रहेगा ये इंफार्मेशन दिल्ली ट्रांसर्पोट डिपार्टमेंट ने दिल्ली हाई कोर्ट को एफिडेविट फाइल कर के दे दी है. दूसरी तरफ अमेरिकी कंपनी उबर इंडिया सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने अपने ऊपर लगे बैन को हटाने की रिक्वेस्ट वाली दिसंबर 2014 में फाइल अपनी पिटीशन वापस ले ली है.

 

जस्टिस राजीव शकधर के सामने केस की हियरिंग में दिल्ली ट्रासपोर्ट डिपार्टमेंट ने हाई कोर्ट को बताया कि 1 जनवरी 2015 को डिपार्टमेंट ने नया ऑर्डर रिलीज करके उबर और ओला कंपनी पर बैन को कांटीन्यू रखते हुए किसी भी एप बेस्ड कैब को दिल्ली में चलती पाए जाने पर कस्टडी में लेने के डायरेक्शन दे दिए हैं. उबर कैब कंपनी के लॉयर राजीव नायर ने हाई कोर्ट में बताया था कि ओला कंपनी की कैब खुलेआम दिल्ली की रोड्स पर नजर आ रही हैं. उन्होंने दावा किया कि अगर जरूरत हो तो हाई कोर्ट के बाहर से भी ओला की कैब हॉयर की जा सकती है. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में उबर के साथ ही डिस्क्रिमिनेशन क्यों किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से पूछा था कि क्या ये बात सही है और अगर हां तो ऐसा क्यो हो रहा है और डिपार्टमेंट एक्शन क्यों नहीं ले रहा.  इस पर ट्रांसर्पोट डिपार्टमेंट के कमिशनर ने बताया कि डिपार्टमेंट उन सभी कैब पर एक्शन ले रहा है जो बैन के बावजूद चल रहीं हैं. चोरी छिपे चल रही कैब्स पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है उनके रूट्स को ट्रैक करके एक्शन लिया जाएगा.

कमिश्नर ने ये भी कहा कि उबर की डिमांड कि उसे दिल्ली में व्हीकल्स रन करने की परमीशन दी जाए इसे रीकंसीडर करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उबर सुप्रीम कोर्ट के उस ऑर्डर को भी वायलेट कर रही है, जिसमें दिल्ली में ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के अंडर केवल सीएनजी कैब चलने की बात कही गई है. इस बीच उबर ने रेडियो टैक्सी स्कीम 2006 में चलने की परमीशन मांगी है. इस बीच उबर कंपनी ने दिसंबर ऑर्डर के अगेंस्ट अपनी प्ली वापस लेने की बात कही है.

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