आप मे यह तो सुना होगा कि लोगो को शराब न पीने की हिदायत दी जाती है मगर नीदरलैंड्स में नशेड़ी लोगों को दिन में पांच लीटर तक बीयर पीने को दी जा रही है वह भी इस उम्मीद में कि वे धीरे धीरे शराब से दूर हो जाएंगे.

डच अधिकारियों के मुताबिक उनका यह प्रोग्राम खासा कामयाब रहा है. डच साइकालजिस्ट ओएगेन शाउटेन का मानना है कि वह केवल इस बात पर ध्यान देते हैं कि शराब की लत को रोका जाए.

पियक्कड़ों की फौज है यहां

'beer day' special: नशा छुड़ाने के लिये नशा

नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटरडैम से 20 किलोमीटर दूर बने मेलीबान सेंटर यह प्रोग्राम चल रहा है. वहां पियक्कड़ों की एक फौज को रखा गया है. ये वे पियक्कड़ हैं जो सुबह से शाम तक पीते रहते हैं. ये बेघर हैं और सड़कों पर रात गुजारते हैं. कुछ साल पहले सरकार ने खास ऐसे लोगों के लिए खास यह प्रोग्राम चलाया. इसके तहत ऐसे नशेड़ी लोग लिये गये जिनपर कनवेन्सनल तरीका यानी शराब से दूर रहने की हिदायत असर नहीं कर रही थी.

यहां पीने की आजादी है


'beer day' special: नशा छुड़ाने के लिये नशा

इस सेंटर में लोगों को पीने की पूरी छूट होती है. यहां एक बार है जिसमें सेंटर में रहने वाले लोग आकर दिन में पांच लीटर बीयर तक पी सकते हैं. बस कुछ नियम हैं-

1. पहला वे सिर्फ सेंटर के बार में ही बीयर पी सकते हैं.
2. दूसरा एक घंटे में आधा लीटर से ज्यादा बीयर नहीं मिलेगी.
3. पीने के लिए सुबह साढ़े सात से रात साढ़े नौ बजे तक का समय तय किया गया है.

बड़ी पुरानी है ये लत

'beer day' special: नशा छुड़ाने के लिये नशा

अधिकारियों का मानना है कि अगर इन लोगों को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा तो वे अपने आपको नुकसान पहुंचाते रहेंगे. सुबह से शाम तक पीते रहेंगे. यहां कम से कम वे कुछ होश में तो रहते हैं. आप उनसे बात कर सकते हैं. उन्हें अपनी बात समझा सकते हैं और हमें उनमें सुधार दिखाई देता है. जब वह यहां आते हैं तो उनके शरीर पर बहुत से घाव होते हैं. हम उनका इलाज करते हैं और दिन में तीन वक्त खाना देते हैं.

आशा की एक किरण
नीदरलैण्ड की सरकार पर कड़ाके की सर्दी में बहुत से नशेड़ी लोगों की मौत के बाद बेघर लोगों के लिए ठोस कदम उठाने का बेहद दबाव था. यहां सिर्फ 35 सेंट में बीयर मिल जाती है. मगर सेंटर पर लोगों को अधिकतम 5 लीटर ही शराब दी जाती है और उन्हें सिविक सेंस भी सिखाया जाता है.

इस तरह बेघर लोगों को एक अच्छी जिंदगी दी जा रही है. उन्हें पीने दिया जाता है लेकिन ढंग से और सबको यह आशा है कि क्या पता जिंदगी की अहमियत समझने के बाद वे पीने से भी तौबा कर लें.