- चाय पे चर्चा में आम लोगों ने रखी मन की बात

- वेस्ट में बसपा और भाजपा में रहेगी फाइट

Meerut: यूपी में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ सियासत तकदीर बदलने के दावे कर रही है। गली मोहल्लों, छोटी बड़ी दुकानों में सियासी चर्चाएं ही हैं। रविवार को आईनेक्स्ट के कार्यक्रम चाय पर चर्चा में लोगों ने बेबाकी से अपनी बात रखी। ज्यादातर लोगों का मानना था कि अब व्यवहार नहीं, क्षेत्र के विकास की दरकार है। लोगों ने एक ओर जहां बीजेपी को लॉ एंड आर्डर कायम रखने वाली पार्टी कहा, वहीं बसपा को भी अधिकारियों पर कमान रखने पार्टी कहा। साथ ही समाजवादी पार्टी के टकराव की टीस भी आम लोगों के दिलों में है। चाय पे चर्चा के दौरान हर किसी ने सियासी मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी।

यूपी में अपराध ही सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इसको लेकर ही हर बार चुनाव होता रहा है। ऐसे में लोग नए विकल्प पर विचार कर रहे हैं

-ऋषिपाल

जातिगत राजनीति में विकास और रोजगार गौण हो गया है। इसलिए क्षेत्रीय नेता खुद ही जाति-धर्म के नाम पर वोट मांगते हैं।

-धर्मपाल

लोक सभा चुनाव में 90 फीसदी वोट भाजपा को गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में कुछ स्थानीय मुद्दे ही महत्व रखते हैं। इसलिए चुनाव में हम सोच समझकर वोट करेंगे।

-गोपी चंद

जातीय मतभेदों से दूर यहां की जनता को सिर्फ विकास चाहिए। हमें बिजली पानी, सड़क और शिक्षा की बुनियादी सुविधाएं मिलें। यही हमें दरकार हैं।

-बाबू खां

इस बार किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। हो सकता है कि इस बार नतीजे चौंकाने वाले आएं। सपा की अंदरूनी कलह से बीजेपी और बसपा को प्लस प्वाइंट दे दिया है।

-विजय सिंह

युवाओं के लिए कोई पार्टी काम नहीं करती। इनकी याद सिर्फ भाषणों और चुनावों के समय आती है। युवाओं को अच्छी शिक्षा और रोजगार की जरूरत है। इस बार इसी मुद्दे पर चुनाव होंगे।

-नरेश प्रधान

हमें बुनियादी सहूलियत मिले तो मेरठ भी किसी स्मार्ट सिटी से कम नहीं है। शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के मुददे पर वोट डाले जाएंगे।

-रूप राम

समूचे प्रदेश में मेरठ को बीजेपी की राजधानी कहा जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी क्षेत्र के विकास में पिछड़ रहा है। इसका जवाब भी सोचना पड़ेगा।

-सुभाष गुर्जर

हर चुनाव में किसानों की समस्याओं को लेकर बातें होती रहती हैं। लेकिन किसानों के हितों को लेकर कोई पार्टी संजीदा नहीं है। अब किसान भी सोचने पर मजबूर हैं।

-ब्रह्म सिंह

कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसे सवाल हैं जिन पर नेताओं से जवाब मांगे जाएंगे।

-सर्वेश कुमार, एडवोकेट

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