नई दिल्ली (पीटीआई)। Bharat Bandh सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अपने कर्मचारियों को बुधवार को बुलाए गए 'भारत बंद' से दूर रखने के लिए कहा है और कामकाज प्रभावित न हो इसके लिए एक आकस्मिक योजना तैयार करने की सलाह दी है। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि सरकार की 'जनविरोधी' नीतियों के विरोध में 25 करोड़ लोग देशव्यापी हड़ताल में भाग लेंगे।

सितंबर में की थी घोषणा

ट्रेड यूनियनों INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रीय स्वतंत्र महासंघों और संघों ने 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा पिछले सितंबर में की थी। सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक ज्ञापन में कहा गया है, 'प्रदर्शन सहित किसी भी रूप में हड़ताल हड़ताल पर जा रहे किसी भी कर्मचारी को परिणाम का सामना करना पड़ेगा, जिसमें मजदूरी में कटौती के अलावा उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।'

आकस्‍मिक योजना तैयार करने को कहा

मेमो में यह भी कहा गया है कि 'मंत्रालय/विभाग के विभिन्न कार्यों में बाधा न पड़े इसके लिए उचित आकस्‍मिक योजना भी तैयार की जा सकती है।' प्रस्तावित विरोध या हड़ताल की अवधि के दौरान आवेदन करने पर कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश या अन्य तरह की छुट्टी मंजूर नहीं करने का भी निर्देश जारी किया गया और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इच्छुक कर्मचारियों को कार्यालय परिसर में बाधा रहित प्रवेश की अनुमति दी जाए।

कार्मिक विभाग का निर्देश

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशों में सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की हड़ताल में शामिल होने से प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें सामूहिक आकस्मिक अवकाश, गो-स्‍लो और सिट-डाउन, या हड़ताल के किसी भी रूप वाली कोई कार्रवाई शामिल है। इसके अलावा, किसी कर्मचारी को बिना किसी अधिकार के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के लिए वेतन और भत्ते स्वीकार्य नहीं होंगे। केंद्रीय ट्रेड यूनियन श्रम सुधार, एफडीआई, विनिवेश, कॉरपोरेटीकरण और निजीकरण की नीतियों का विरोध कर रही हैं और न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित श्रमिक वर्ग की 12-सूत्रीय सामान्य मांगों के लिए दबाव डाल रही हैं।

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