पटना (पीटीआई)। बहुत दिनों से इन आंकड़ों को जारी करने को लेकर मांग की जा रही थी। जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल जनसंख्या में पिछड़ा तथा अति पिछड़ा वर्ग की आबादी तकरीबन 63 प्रतिशत है। आंकड़े जारी होने के बाद इस प्रकार की जातिगत जनगणना की हर ओर मांग उठ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन में नीतीश कुमार का कद बढ़ सकता है। हिंदी पट्टी में कम से कम ऐसा ही दिख रहा है।

अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 प्रतिशत

डेवलपमेंट कमिशनर विवेक सिंह द्वारा आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ है। इसमें अति पिछड़ा वर्ग का प्रतिशत 36 प्रतिशत है। दूसरी बड़ी आबादी बैकवर्ड क्लास की है जिनकी आबादी 27.13 प्रतिशत है। पिछड़े की राजनीति करने वाले नेता लंबे समय से दावा करते रहे हैं कि 1931 की जनगणना के आधार पर पआबादी का जो प्रतिनिधित्व है वह पिछड़ों की वास्तविक संख्या से काफी कम है। अंतिम बार 1931 में ही जाति आधारित जनसंख्या के आंकड़े जारी किए गए थे।

अनारक्षित वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत

सर्वे में बताया गया है कि पिछड़े वर्ग में यादवों की आबादी, जिससे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आते हैं उनका प्रतिशत 14.27 है। पिछड़ों में यह संख्या सर्वाधिक है। राज्य की कुल आबादी में अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत हैं। बिहार में अनारक्षित वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत है। 1990 के दौरान मंडल आंदोलन के दौरान इस वर्ग को अपर कास्ट के तौर पर बताया गया था।

नीतीश और लालू ने जातिगत जनगणना का किया वादा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि जल्दी ही सभी नौ राजनीतिक पार्टियों की एक बैठक बुलाई जाएगी। सभी के साथ सर्वे के आंकड़े साझा किए जाएंगे। राजेडी प्रेसिडेंट लालू प्रसाद यादव ने एक बयान जारी करके कहा कि केंद्र में जब उनकी सरकार बनेगी तो जातिगत जनगणना पूरे देश में कराई जाएगी। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों ही नेताओं ने इंडिया गठबंधन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल ही में बेंगलुरू में आयोजित एक बैठक में दोनों नेताओं ने जातिगत जनगणना का वादा किया था।

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