कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Bihar Caste Survey : नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की बिहार में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट सोमवार को जारी होने से देश में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष जाति की रेखा खींचकर समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है। सर्वेक्षण को लेकर विवादों के बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगली कार्रवाई पर विचार-विमर्श करने और जनगणना रिपोर्ट के निष्कर्षों को पेश करने के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसके साथ ही उन्होंने जाति आधारित गणना के काम में लगी पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि सर्वेक्षण से न केवल जातियों का पता चला बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिली।
राज्य की आबादी 13 करोड़ से अधिक
बिहार सरकार द्वारा जारी जाति जनगणना रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की आबादी 36.01 प्रतिशत है, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी 27 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी, जबकि ऊंची जातियां 15.52 फीसदी आबादी हैं।

बिहार में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत
आंकड़ों में कहा गया है कि यादव, ओबीसी समूह जिससे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव संबंधित हैं, सबसे बड़ा है और राज्य की आबादी का 14.27 प्रतिशत है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बिहार की आबादी में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत हैं। .

जातिगत आंकड़ों को जानना महत्वपूर्ण
बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण में पाया गया कि यहां पर कुशवाहा और कुर्मी समुदाय आबादी का 4.27 प्रतिशत और 2.87 प्रतिशत हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से केवल 3 ओबीसी हैं, जो भारत के बजट का केवल 5% संभालते हैं। इसलिए भारत के जातिगत आंकड़ों को जानना महत्वपूर्ण है।

पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए
आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा कि पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए। बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि रिपोर्ट 'अधूरी' है और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) डेटा की समीक्षा और विश्लेषण कर रही है। रिपोर्ट की आलोचना करते हुए समाजवादी पार्टी (एसपी) नेता शफीकुर रहमान बर्क ने कहा कि यह सर्वे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक चुनावी हथकंडा है।

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