PATNA: टुकड़ों में बांटकर हुई निविदा के तहत पटना-कोईलवर की फोरलेनिंग का मामला अभी भी जिला भू अधिग्रहण अधिकारी (डीएलएओ) के पास ही अटका है। कारण है कि अब तक जमीन अधिग्रहण का पेंच नहीं सुलझा है। इसके बावजूद पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक माह के भीतर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की हिदायत दी है।

पिछले साल हुआ था करार

मालूम हो कि कुल फ्फ् किमी के इस फोरलेन प्रोजेक्ट की लागत 7म्क्.ख् करोड़ रुपए है जिसमें जमीन की लागत शामिल नहीं है। प्रोजेक्ट पर सितंबर ख्0क्भ् में कांट्रैक्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ था। एनएचएआई की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए क्8ख्.क्फ् हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। मगर अभी तक क्म्भ्.म्क्7 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ही आगे बढ़ पायी है।

जमीन पर खर्च होंगे क्ख्0फ् करोड़

जमीन अधिग्रहण के नए कानून के तहत प्रोजेक्ट के लिए जितने बड़े रकबे में जमीन का अधिग्रहण होना है उस पर क्ख्0फ् करोड़ रुपये खर्च होंगे। अभी स्थिति यह है कि अधिग्रहण के लिए 97फ् करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, जिसमें से म्8ख्.ब् करोड़ का वितरण हो चुका है।

तब शुरू हो सकेगा काम

नए प्रावधान के तहत प्रोजेक्ट के लिए 90 फीसदी जमीन मिलने पर ही निर्माण कंपनी को काम आरंभ किए जाने की तारीख मिल सकेगी। जबकि कागज पर 8म्.क्भ् प्रतिशत जमीन उपलब्ध है लेकिन हकीकत यह है कि मात्र फ्फ् फीसदी जमीन का मुआवजा ही वितरित हो पाया है। पथ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की गति धीमी रहने पर चिंता जतायी है।