-1993 में दलित पुजारी को लाने को लेकर कई धर्म स्थलों से किया गया था संपर्क

PATNA:हनुमानगढ़ी अयोध्या ने पटना के महावीर मंदिर पर अपना दावा ठोक कर नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। वहीं, महावीर मंदिर न्यास समिति ने हनुमानगढ़ी के दावे को बेबुनियाद बताया है। महावीर मंदिर की ओर से शनिवार को मंदिर में दलित पुजारी को लेकर न्यास सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने नई बात सामने रखी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में महावीर मंदिर में दलित पुजारी को लाने को लेकर देश के बहुत से धर्म स्थलों से संपर्क किया गया था। ऐसे में संत रविदास मंदिर के गद्दीनशीं महंत घनश्यामपत दिवाकर महाराज ने फलाहारी सूर्यवंशी दास को महावीर मंदिर के पुजारी के पद पर नियुक्त कर भेजा था।

28 वर्ष तक मिला सम्मान

13 जून 1993 को महावीर मंदिर में दलित पुजारी की नियुक्ति के समय समारोह में रामजन्म भूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष रामचंद्र परमहंस महाराज, गोरख पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ, पंच गंगाघाट वाराणसी के महंत अवध बिहारी दास आदि की मौजूदगी में सूर्यवंशी दास को मंदिर के पुजारी नियुक्त किया गया। महावीर मंदिर ने सूर्यवंशी दास पुजारी के रूप में 28 वर्षो तक अपनी सेवा देते रहे और उन्हें मंदिर से भरपूर सम्मान मिलता रहा।

आरती के बाद कराया था दर्शन

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में रामनवमी के दिन महावीर मंदिर के पुजारी उमाशंकर दास ने कुछ लोगों से पैसे लेकर रात में आरती के बाद मंदिर में लाकर लोगों को दर्शन कराया था। जांच में पता चला कि मंदिर में आठ पुजारी में सात पुजारी उमाशंकर दास के ही परिवार से हैं, जिसमें तीन सगे भाई, एक भांजा, बुआ का बेटा, भाभी की बहन का बेटा और एक पट्टीदार है। पुजारी उमाशंकर दास को उनके अवांछित कार्यो के कारण हटाया गया। तब उमाशंकर दास ने सूर्यवंशी दास को आगे कर न्यास समिति के सचिव की आलोचना प्रारंभ की। वहीं, अयोध्या के हनुमानगढ़ी जाकर माहौल बनाया कि महावीर मंदिर में सभी पुजारी हनुमानगढ़ी के हैं। ऐसे में महावीर मंदिर पर हनुमान गढ़ी को दावा करना चाहिए।