-2011 में टीईटी पास करने के बाद कैंडिडेट आज भी भटक रहे हैं नौकरी के लिए

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PATNA: बिहार में बेरोजगारी का आलम नौकरी की कमी की वजह से नहीं बल्कि सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण गंभीर हो गया है। इसका ताजा उदाहरण 75 हजार से अधिक वैसे कैंडिडेट्स हैं जो वर्ष 2011 में टीईटी पास कर चुके हैं। वर्ष 2011 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें करीब एक लाख 53 हजार कैंडिडेट्स को टीईटी पास का सर्टिफिकेट दिया गया। लेकिन 7 साल बाद भी आधे से अधिक कैंडिडेट्स आज भी बेरोजगार हैं और सड़कों पर भटक रहे हैं। यह आलम तब है जब सरकार सभी को अनिवार्य रूप से शिक्षा देने का संकल्प बार-बार दोहराती है। आज की परिस्थितियों में इसके बाद भी कई टीईटी अभ्यर्थी पास हो चुके हैं। लेकिन वर्ष 2011 में पास कैंडिडेट्स अब विकल्प से परे जिंदगी जीने को मजबूर हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने ऐसे कैंडिडेट्स से मामले की पड़ताल की।

ये कैसा समीकरण

एक ओर बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी है और दूसरी ओर 7 साल से टीईटी पास कैंडिडेट्स का नियोजन नहीं हुआ है। इस बारे में बिहार राज्य टेट एसटीईटी पास अभ्यर्थी संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंदन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में जो आंकडे़ दिख रहे हैं वह चौंकाने वाले हैं। वर्तमान में हाई स्कूल स्तर पर 20 हजार कैंडिडेट्स बचे हैं। वर्ग एक से आठ तक के लिए लगभग 35000 कैंडिडेट्स नियोजन से बचे हुए हैं। सरकार के पास 2.5 लाख टीचर की वैकेंसी एक अर्से से खाली पड़ी है। चंदन शर्मा ने बताया कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में विशेष अभियान चलाकर टेट पास को जॉब देने की बात कहकर भूल गई है।

गरीबी में जीने को मजबूर

लखीसराय के सलेमपुर सूर्यगढ़ा निवासी विशाल कुमार ने बताया कि 2011 में टीईटी पास होने के बाद यह भरोसा हो गया था कि नौकरी तो मिल ही जाएगी। लेकिन आज घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। उम्र भी निकली जा रही है। सरकार मेरे जैसे हजारों लोगों की जिंदगी के बारे में भी सोचे।

सरकार कर रही उपेक्षा

अरवल निवासी एवं भगवान सिंह के पुत्र रवि रंजन कुमार ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया है। समय के साथ बिना किसी अपराध के भी सजा पाने जैसी स्थिति है। उन्होंने कहा कि यदि समाज में शिक्षक बनना अपराध है तो सरकार यह खुद से कह दे।

अब टूट रही है उम्मीदें

सारण निवासी एवं सुरेंद्र सिंह गोरखा के पुत्र जय प्रकाश सिंह ने कहा कि यह बात कहने में शर्म आती है कि मैं सात साल से सरकारी विद्यालय में नौकरी पाने का इंतजार कर रहा हूं। आस टूटती जा रही है। सरकार विशेष अभियान चलाकर 2011 के टेट पास को जॉब दे।

राज्य भर में शिक्षकों की काफी कमी है। इसके बावजूद सरकार के उदासीन और उपेक्षापूर्ण रवैये से सात साल बाद भी टीईटी पास को नहीं मिल रही नौकरी।

-चंदन शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष बिहार राज्य टेट एसटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ