-रिजर्व बैंक के गर्वनर के इस्तीफा देने से शेयर बाजार में मच गया था उथल-पुथल

PATNA: पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने से ठीक पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर के इस्तीफा देने के कारण शेयर बाजार में उथल-पुथल मच गया। लेकिन राज्यों के विधान सभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनने और तुरंत नए गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत की नियुक्तिके बाद से शेयर बाजार में तेजी से सुधार देखा गया। बाजार पंडितों का मानना है कि चुनावी नतीजे के समय इस प्रकार की स्थिति थोड़ी देर के लिए बन जाता है। लेकिन यह आगे जारी ही रहेगा, ऐसा नहीं है। 11 दिसंबर को जहां निफ्टी का संवेदी सूचकांक 34,598 पर खुला वह चुनाव परिणाम आने के बाद चढ़ते हुए 35167.37 पर बंद हुआ। इसके बाद 12 दिसंबर को निफ्टी का संवेदी सूचकांक 35472.02 पर खुला और 35775.97 पर बंद हुआ। कुल मिलाकर, सेंसेक्स में सुधार ही दिख रहा है।

क्या मायने हैं हैं उतार-चढ़ाव के

चुनाव से पहले और चुनाव परिणाम के बाद निफ्टी के सूचकांक में बदलाव करीब 600 से 500 अंको का दर्ज किया गया है। बाजार पंडितों का कहना है कि जब बाजार में अनिश्चितता का माहौल होता है तब प्राय: ऐसी स्थिति बनती है। लेकिन इस बदलाव को कुछ घंटो के बदलाव के तौर पर ही देखा जाना चाहिए। इससे अधिक मायने नहीं समझा जा सकता। क्योंकि शेयर बाजार में बुधवार डेढ़ बजे के बाद से लगातर सुधार दिखा है। अब फिर से बीते तीन दिनों जैसा हाल नहीं होगा जब बाजार में अनिश्चितता का जबरदस्त माहौल बना हुआ था। जब शेयर बाजार गिरता है तो निवेशकों का नुकसान होता है जब चढ़ता है लाभ होता है।

35500 के आस-पास रहेगा

बाजार में राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद से सेंसेक्स में बढ़त की स्थिति है। बाजार विशेषज्ञ अंजनी सुरेका का मानना है कि बाजार 35500 के आस-पास या इससे उपर रहेगा, जो कि एक बेहतर स्थिति है। उन्होंने कहा कि न केवल स्थायी सरकार के बनने की संभावना से बाजार में उत्साह है बल्कि नए गवर्नर शक्तिकांत की नियुक्ति से भी एक पॉजिटिव सेंटिमेंट दिख रहा है।

क्या करें निवेशक

बाजार में निवेश करने वालों के लिए यह समय बेहतर निवेश का समय हो सकता है। अंजनी सुरेका ने बताया कि तत्काल बहुत अधिक उतार- चढ़ाव नहीं दिख रहा। इसलिए पटना के निवेशक बेझिझक निवेश करें। ऐसे परिणाम लंबी अवधि के लिए मायने नहीं रखता है। बाजार हमेशा ही स्थायित्व को स्वीकार करता है। चुनाव के नतीजे भी यह स्पष्ट दर्शा रहे हैं। वहीं बाजार विशेषज्ञ रमेश सुरेका का भी मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में यह मामूली परिवर्तन रहा।

ओवरऑल गेन है

फाइनेंशियल प्लानर दिलीप कुमार का कहना है कि यदि चुनाव परिणाम से एक दिन पहले और अब तक के सेंसेक्स का अध्ययन करें तो कह सकते हैं कि यह ओवरऑल गेन है। मात्र तीन दिनों में 650 अंकों का सुधार दिखा है। आगे यदि थोड़ा गिरावट रहा तो इसका कारण कच्चे तेल की कीमत और यूएस में इंटरेस्ट रेट वजह हो सकता है।

अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव पर नजर

शेयर बाजार के निवेशकों के लिए आम चुनाव तक का समय खास है। बाजार विशेषज्ञ अंजनी सुरेका का मानना है कि यह पहले देखा गया है आम चुनाव के समय भी शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक में उतार- चढ़ाव होता है। अब अप्रैल, 2019 में चुनाव के समय की स्थिति को लेकर भी बाजार में थोड़ी अनिश्चितता दिखेगी और तब तक निवेशकों को संभलकर निवेश करने और बाजार पर पैनी निगाह रखनी होगी।

सेंसेक्स में हाल में उतार- उढ़ाव की घटना चिंताजनक नहीं है। यह अस्थायी था। आगे बेहतर स्थिति रहने की संभावना है।

-अंजनी सुरेका, बाजार विशेषज्ञ