- हर चौथा व्यक्ति हो रहा इस बीमार का शिकार

- आधुनिक लाइफ स्टाइल से बढ़ी भूलने की समस्या

- मेमोरी लॉस को लेकर नहीं हुए सावधान तो बढ़ जाएगी परेशानी

PATNA: यदि आप कोई भी बात बहुत जल्दी भूल जाते हैं और दिमाग पर जोर देने के बाद भी याद नहीं कर पाते हैं तो अलर्ट हो जाइए। क्योंकि यह संकेत दिमागी बीमारी की है। मॉडर्न लाइफ स्टाइल और दिमाग पर क्षमता से अधिक जोर देने के कारण हर चौथा व्यक्ति इस अजीबो गरीब बीमारी का शिकार हो रहा है। ऐसे में समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो स्थित जटिल हो सकती है।

लाइफ स्टाइल ने दी बीमारी

डॉक्टरों का कहना है कि आधुनिकता के दौर में लोगों ने अपनी जिंदगी को मशीन बना लिया है। ऑफिस से घर तक तनाव ही तनाव है। खान-पान से लेकर सोने-उठने के समय के साथ पूरी दिनचर्या बदल गई है। कोई समय में बंधकर काम नहीं करना चाहता है। नतीजा समय से पहले बीमारियां अपने जाल में फंसा ले रही हैं।

तनाव में 7भ् प्रतिशत लोग

आंकड़ों पर गौर करें तो 7भ् प्रतिशत लोगों की जिंदगी तनाव में गुजर रही है। सुबह बिस्तर से उठते ही तनाव शुरू हो जाता है और रात में सोने तक वह इससे निजात नहीं पाते हैं। इसके पीछे काम का बोझ है। जिसके पास अधिक काम है वह भी परेशान है और जिसके पास काम नहीं है वह भी परेशान है।

आधुनिकता के दौर में परिवार से बढ़ी चिंता

आधुनिकता के दौर में लोग संयुक्त परिवार से दूर भाग रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों में सबसे अधिक परिवार की समस्या से जकड़े होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि भूलने की बीमारी की कोई ऐसी दवा नहीं है। जो भी दवा बाजार में है वह केवल नाम की है। इस बीमारी का उपचार लाइफ स्टाइल चेंज करने से होगा।

इससे बचें

- मोबाइल फोन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना

- लंबे समय तक काम करना और किसी भी चीज को याद करने के बजाए लिखना

- खान पान में कोई समय नहीं रखना, देर से सोना और उठना

- प्रकृति से दूर रहना और हमेशा काम के बोझ में दबे रहना

- परिवार में बच्चों में कम समय देना व हंसी मजाक से दूर रहना

- दिमाग को रेस्ट नहीं देना और हमेशा तनाव में रहना

पहले बुढ़ापे में भूलने की बीमारी होती थी। आज जवानी में ही लोग परेशान हैं। कारण लाइफ स्टाइल बदल गया है। दिमाग को रेस्ट देने के बजाए तनाव दिया जा रहा है। मोबाइल और सोशल साइटों का अधिक इस्तेमाल भी बड़ा कारण है। इसलिए उपचार दवा से नहीं लाइफ स्टाइल चेंज करने में ही है।

- डॉ एएन झा, चेयरमैन, मेदांता इंस्टीटयूट ऑफ न्यूरो साइंस