PATNA : कैशलेस की तरफ बढ़ते इकोनॉमी को बैंककर्मियों के सबसे बड़े हड़ताल ने जबरदस्त झटका दिया है। बिहार में बैंककर्मी के हड़ताल पर जाने से बैंकिंग व्यवस्था चौपट रही। बैंककर्मी की सबसे प्रमुख मांगों में नोटबंदी के दौरान किए ओवरटाइम का पैसा देने की है। इस हड़ताल से बिहार में हर रोज होने वाले तकरीबन क्0 हजार करोड़ के ट्रांसेक्शन नहीं हो पाया। चेक क्लिरियंस, फंड ट्रांसफर सहित अन्य बैंकिंग सेवाएं बाधित रही। हड़ताल से एटीम और कहीं कहीं ऑनलाइन सेवाएं भी बाधित रहीं।

ऑनलाइन चालू, एटीएम ठप

आमतौर पर बैंक बंद रहने के बावजूद एटीएम लोगों को राहत देती है, लेकिन हड़ताल की वजह से शहर भर में करीब 7 हजार एटीएम पर ताला लटका रहा। कुछ एटीएम क्क् बजे तक चले फिर उनमें पैसा खत्म हो गया। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और पीओएस पर कार्ड पेमेंट से जनता की परेशानी कुछ कम हुई लेकिन कैश पर निर्भर रहने वाले लोग परेशान होते दिखे।

पहले से थी सूचना, फिर भी कारोबार प्रभावित

पूरे देश में होने वाले बैंकिंग हड़ताल की सूचना काफी पहले से थी। शहर के व्यापारियों के मुताबिक इससे व्यापार पर कोई खास असर नहीं हुआ, लेकिन रोजाना होने वाले ट्रांजेक्शन में गिरावट आई। कैशलेस होने की वजह से अधिकतर ट्रांजेक्शन ऑनलाइन ही होने थे। एक फाइनेंस कंपनी चलाने वाले संजय अग्रवाल के मुताबिक पूर्व सूचना की वजह से व्यापार पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। बोरिंग रोड स्थित शॉपिंग मॉल के ओनर राजेश कुमार बताते हैं कि पीओएस मशीन चालू रहने की वजह से ग्राहकों को अधिक दिक्कत नहीं हुई। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के इस हड़ताल में बिहार के म्77भ् ब्रांच बंद रहे।

पैसे हुए खत्म तो एटीएम का गिराया शटर

बैंककर्मी मंगलवार को हड़ताल पर रहे। हड़ताल के कारण सरकारी, निजी व क्षेत्रीय बैंकों के कार्यालयों में पूरे दिन ताला लटकता रहा। हड़तालियों के विरोध के बाबजूद एटीएम से पैसा निकला लेकिन दोपहर होते-होते ज्यादातर एटीएम में पैसा खत्म होने की नोटिस चिपका दी गई अथवा एटीएम का शटर गिरा दिए गए। हड़ताल के कारण काम-काज पूरी ठप रहा। हड़ताल में सभी राष्ट्रीयकृत बैंक, एसबीआई, मध्य बिहार ग्रामीण बैंक, पीएनबी मंडल कार्यालय, सेन्ट्रल को-आपरेटिव बैंक समेत सभी निजी शामिल रहे। बैंककर्मियों का कई जत्था बैंक के कार्यालयों में सरकार की जन विरोधी नीति के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।

हिसाब मांग रहे कर्मी

- नोटबंदी के समय बैंक को अतिरिक्त खर्च हुआ। सरकार खर्चो की भारपाई करे

- बैंककर्मियों को सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के मुताबिक वेतनमान की सुविधाएं और ग्रेजुएटी मिले।

- बैंकों को भ् डे वर्किग बनाया जाए

- जानबूझकर बैंक का कर्ज दबाने वालों पर कार्रवाई की जाए।

ये सेवाएं रही बाधित

- चेक क्लिरियंस

- मनी डिपोजिट

- आरटीजीएस

- एनईएफटी

ई ताल पर भी घटा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन

श्रमिक विरोधी संशोधनों के खिलाफ इस हड़ताल की वजह से देशभर में डिजिटल ट्रांजेक्शन में भी कमी देखी गई। ख्7 फरवरी और ख्8 फरवरी को कंपेयर करने पर इसका रिफ्लेक्शन साफ देखा गया। ई ताल पर सरकार की एक ऑनलाइन मॉनिटरिंग एजेंसी है जो देशभर में होने वाले किसी भी तरह के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को ट्रैक कर रियल टाइम में डाटा देती है। बिहार प्रॉविंसियल बैंक इम्प्लाई एसोसिएशन के सेक्रेट्री संजय तिवारी के मुताबिक इस हड़ताल से बिहार भर में करीब ख्0 हजार करोड़ का ट्रांजेक्शन नहीं हो पाया।

हम जनता की सेवा का काम करते हैं लेकिन हमारे साथ भेदभाव हो तो हड़ताल करना पड़ेगा। हमने एक महीने से घोषणा कर रखी थी कि मांगे नहीं मानी जाएगी तो हड़ताल होगा।

- संजय तिवारी, सेक्रेट्री, बिहार प्रोवेंसियल बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन

बैंक जब घाटे में आता है तो हमें ये सुनना पड़ता है कि हम ठीक काम नहीं कर रहे। सच्चाई यह है कि हमारे ऊपर हमेशा जन सेवा का दवाब है। नोटबंदी के दौरान बैंकों ने अपने संसाधन लगाए। उसका हमें हिसाब चाहिए।

- विजय राय, डेपुटी जेनरस सेक्रेट्री, एसबीआई स्टाफ एसोसिएशन, पटना सर्कल