क्कन्ञ्जहृन्: पटना में ग्राउंड वाटर लेवल की वर्तमान स्थिति को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि 15 साल बाद पटना में पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड और अन्य संस्थानों के अध्ययन में यह बातें सामने आयी हैं। अध्ययन में बारिश से पहले और बारिश के बाद वाटर लेवल के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है। पटना के 31 ब्लॉक में विभिन्न तरह के तकनीकी अध्ययन में वाटर रिचार्जिग के सीमित स्रोत होने और आबादी बढ़ने से जल उपयोग बढ़ने की बातें सामने आयी है। इसमें ग्राउंड वाटर लेवल की क्वालिटी और मात्रा का अध्ययन किया गया है।

छह ब्लॉक की स्थिति चिंताजनक

इसमें पांच-छह ब्लॉक में स्थिति चिंताजनक बताया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आमजनों में जानकारी की कमी और वाटर पॉलिसी नहीं होने के कारण स्थिति चिंताजन है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पहलुओं की पड़ताल की। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के 2009 के आंकड़ें आज की स्थिति में 50 प्रतिशत से भी कम रह गए हैं। उदाहरण के तौर पर जहां वाटल लेवल 9 मीटर था, वह आज 13 मीटर या उससे भी नीचे चला गया है। सबसे बड़ा कारण वाटर रिचार्जिग स्रोत खत्म होना है।

रिचार्जिग क्यों है जरूरी

ग्राउंड वाटर रिचार्जिग ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वाटर टेबल को बनाए रखा जाता है। यह जल चक्र की प्रक्रिया को प्रभावी बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। जब सतह पर जमा पानी भूजल में जमा होता है तो यह भविष्य में बेहद उपयोगी साबित होती है। एनआईटी पटना के सिविल डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एनएस मौर्या का कहना है कि पटना में ग्राउंड वाटर की स्थिति की स्थिति खराब हो रही है। यहां जल का दोहन लोग मनमाफिक तरीके से कर रहे हैं।

घट रहे हैं जल स्रोत

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ विश्वदीप भट्टाचार्य ने बताया पटना में ग्राउंड वाटर के लेवल का निरंतर अध्ययन किया है। वे इलाके ज्यादा प्रभावित हैं जहां लोगों में जागरूकता की कमी है। ग्रेटर पटना में दानापुर, मनेर, बिहटा और फुलवारी शरीफ में जल स्रोत स्थायी तौर पर सूख गए हैं।

हरियाणा मॉडल जरूरी

इस बारे में एएन कॉलेज के ज्योग्राफी डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नुपूर बोस ने कहा कि पटना में ग्राउंड वाटर लेवल की चिंताजनक स्थिति को देखकर यहां पॉलिसी लेवल पर कड़े प्रावधान की जरूरत है। इसके लिए बोरिंग की सख्त मनाही जरूरी है। हरियाणा स्टेट इसकी नजीर है।

बिहार अन्य राज्यों से पानी के मामले में बेहतर है। लेकिन पॉलिसी और जागरूकता के अभाव से स्थिति ग्राउंड वाटर की स्थिति चिंताजनक हो रही है।

-नुपूर बोस, एसोसिएट प्रोफेसर एएन कॉलेज, पटना