-पटना ट्रेनिंग कॉलेज समेत अन्य संस्थानों में नहीं होगा बीएड में एडमिशन

क्कन्ञ्जहृन्: नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने पिछले वर्ष नौ बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी। इस कारण नए सत्र से बीएड करने वाले छात्रों के सामने संशय की स्थिति है। मान्यता रद्द होने वाले में सरकारी और प्राइवेट दोनों बीएड कॉलेज शामिल हैं। ज्ञात हो कि टीचर्स की नियुक्तिनहीं होने और एनसीटीई द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दे पाने के कारण रद्द की गई थी। शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस स्थिति में बदलाव जरूरी है।

बिना मान्यता भी एडमिशन

बिहार में बीएड में एडमिशन के लिए छात्रों को काफी जद्दोजहद करना पड़ता है। काफी संख्या में एजेंट भी खेल करते हैं। बीएड पास आउट राजेश कुमार का कहना है कि जिस प्रकार से बीएड डिग्री की मांग है, उस तरीके से यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भारी कमी है। वहीं, शिक्षक प्रदीप कुमार का कहना है कि बीएड कॉलेजों से एनसीटीई की मान्यता नहीं मिलने के बाद भी संस्थानों में नए एडमिशन लिए जाते हैं। जिसे गंभीरता से लेनी चाहिए।

क्यों जरूरी है मान्यता

बीएड कॉलेजों की मान्यता के पेच में पटना यूनिवर्सिटी और मगध यूनिवर्सिटी से संबद्ध कुछ बड़े संस्थान भी फंस रहे हैं। एनसीटीई राष्ट्रीय स्तर पर स्वायत्ता प्राप्त संस्थान है जो बीएड संस्थानों के लिए आवश्यक न्यूनतम मानक तय करती है। यह देश के सभी बीएड कॉलेजों के लिए अनिवार्य है। लेकिन नाम मात्र के संस्थान ही एनसीटीई की मानक को फॉलो कर पाते हैं। योग्य शिक्षक और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी सबसे बड़ा कारण है। इसलिए इन तथ्यों पर हर स्तर पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे छात्रों का समय और धन बच सके।

बिहार की स्थिति चिंताजनक

बिहार में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान से ही बात बन सकती है। लेकिन एनसीटीई के मानक जब राजधानी पटना के संस्थान पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो राज्य स्तर पर बीएड संस्थानों की स्थिति क्या होगी, यह अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि शिक्षकों की मांग और कमी का आंकलन एनसीटीई के आंकड़ों पर करें तो 2010 से 2013 के बीच की तुलना में डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन में 3985 शिक्षकों की कमी, एमएड में 1489 शिक्षकों की कमी है।

बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द होने के बाद से एडमिशन लेने वाले छात्रों को सतर्क रहने की जरूरत है। पूरी जानकारी लेकर ही एडमिशन लें। ताकि उनका करियर बर्बाद न हो।

-दीप कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं शिक्षा विशेषज्ञ

एनसीटीई को सभी की जांच एक समान करें, सरकारी कॉलेजों में हर बात की कड़ाई से जांच होती है। जबकि प्राइवेट कॉलेजों में भी उन मानकों को देखा जाना चाहिए जो मान्यता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

-डॉ खगेंद्र कुमार, प्रिंसिपल पटना ट्रेनिंग कॉलेज