PATNA : जम्मू कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में बिहार के बेगूसराय के लाल सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर पिंटू सिंह शहीद हो गए। रविवार सुबह करीब 8.15 बजे उनका पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट पहुंचा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्प रैली में सरकार शहीद की कुर्बानी ही भूल गई। एयरपोर्ट पर न तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे नहीं उनके मंत्रीमंडल का कोई मंत्री। वहीं, विपक्ष से सिर्फ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, राजद से शिवानंद तिवारी ही पहुंचे थे। इनके अलवा वहां पर कोई नहीं गया। इसके साथ ही मौके पर सिर्फ पटना एसएसपी गरिमा मलिक और सीआरपीएफ के जवान और शहीद के परिजन थे। पटना एयरपोर्ट पर शहीद का शव उतरने के बाद पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद शव को हेलीकॉप्टर से बेगूसराय उनके पैतृक गांव भेजा गया। नेता भले ही शहीद की कुर्बानी को भूल गए लेकिन लोगों अपने हीरो एक नजर देखने को बेचैन थे।

नारे से गूंज उठा एयरपोर्ट

पटना एयरपोर्ट पर भले सरकार शहीद को भूल गई लेकिन आम लोगों के दिल में शहीद जवान हमेशा के लिए अमर हो गए हैं। भारी संख्या में लोग शहीद के पार्थिव शरीर को देखने के लिए पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे। जैसे ही शहीद के शव को गार्ड ऑफ ऑनर के लिए रखा गया लोग वीर जवान अमर रहें। भारत जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। लोगों के नारे पटना एयरपोर्ट गूंज उठा।

अंतिम यात्रा में उमड़ा सैलाब

अंतिम यात्रा में देश भक्ति का गजब नजारा था। गम के बावजूद गर्व से सिर ऊंचा करने वाले पिन्टू की अंतिम यात्रा में पांच किलोमीटर के सफर में छह घंटे का समय लगा। इस दौरान लोग कतार में खड़े होकर शहीद अमर रहे के नारे लगाते रहे। जिनको जहां जगह मिल रही थी वो अपने हीरो के अंतिम दर्शन के लिए प्रयत्नशील थे। शव यात्रा में शामिल सभी लोगों की आंखें नम थी।

नेता भले भूल गए लोगों ने अपने हीरो को दिया सम्मान

रविवार की सुबह 9:30 बजे हेलीकॉप्टर बेगूसराय के बखरी थाना के पीछे लैंड हुआ। इस मौके पर एयर फोर्स एवं जिला बल के जवानों ने उन्हें सलामी दी। बड़े से तिरंगे झंडे के साथ हजारों लोगों राष्ट्रभक्ति गीतों के साथ यात्रा धीरे-धीरे शहीद के गांव राटन पंचायत के ध्यानचक्की वार्ड नंबर दो की ओर बढ़ी । इस दौरान घरों के छतों पर, सड़क किनारे तिल रखने की भी जगह नहीं थी।

5 साल की पीहू ने दी पिता को मुखाग्नि

अंतिम यात्रा के बाद शहीद ¨पटू को मुखाग्नि उनकी पांच वर्षीय बेटी पीहू ने अपने चचेरे भाई की गोद में बैठ कर दी। कुछ देर पूर्व तक अपने पिता की याद में बिलख- बिलख कर रो रही पीहू मुखाग्नि देते वक्त बिलकुल भाव शून्य थी। वह बस एकटक अपने हाथ में लिए अग्नि एवं चिता पर लेटे शहीद पिता को देख रही थी। इस दौरान पत्नी अंजू रो- रोकर बार- बार बेहोश हो जा रही थी। अंतिम संस्कार के वक्त अपने परिजनों के साथ वह भी गंडक घाट पर मौजूद थीं।