-कृषि विज्ञान केन्द्रों में मिनी स्वायल टेस्टिंग लैब बनेगा

PATNA: भले ही इस बजट में बिहार के लिए विशेष प्रावधान नहीं किया गया हो, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से बिहार को भी सौगात देने का प्रयास किया गया है। बिहार में कृषि क्षेत्र से ही विकास की उम्मीद बंधती है, क्योंकि यहां खनिज आधारित उद्योग की कमी है। इस बार के आम बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में तकरीबन ख्ब् प्रतिशत आवंटन बढ़ाया गया है। इसमें बिहार के लिए लाभकारी बातों में यह शामिल है। देश भर के म्ब्8 कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से मृदा परीक्षण (स्वायल टेस्टिंग) के लिए मिनी लैब की स्थापना की जाएगी। इसमें कई बिहार में भी खोले जाएंगे। वर्तमान में कृषि विज्ञान केन्द्र और स्टेट स्वायल टेस्टिंग लैब के माध्यम से मृदा परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जा रहा है।

क्या महत्व है मृदा परीक्षण का

वर्तमान में तेजी से बढ़ रही मानव आबाद और घटती कृषि भूमि के कारण मृदा पर बोझ अत्यधिक बढ़ा है। ऐसे में मृदा का परीक्षण कर उससे अधिक से अधिक उत्पादकता हासिल करने का लक्ष्य को प्राप्त करने की पुरजोर कोशिश है। इस बारे में आईसीएआर के रीजनल सेंटर में स्वायल साइंटिस्ट केके राव ने बताया कि बिहार के विभिन्न जिलों में स्वायल टेस्टिंग किया जा रहा है। गंगा के आस-पास के क्षेत्रों को छोड़ अधिकांश जगहों पर मृदा में पोषक तत्वों की कमी है।

पोषक तत्वों की कमी है आम

मृदा विशेषज्ञों ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर मृदा में पोषक तत्वों की कमी है। खास कर कार्बन का प्रतिशत कम होना इसे जाहिर करता है। मृदा में कार्बन का प्रतिशत 0.भ् से 0.7भ् होना चाहिए। सूबे में समस्तीपुर में मिट्टी में कलकेरियस यानि कैल्सियम कार्बोनेट की मात्रा अधिक है। वहीं, मधुबनी और उत्तर बिहार के अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले जिलों में यह अम्लीय है। जिसमें पोषक तत्व कम और लोहे की मात्रा अधिक होती है। डेयरी उद्योग को भी बढ़ावा देने के लिए फंड आवंटित किया गया है। लघु सिचाई और डेयरी प्रोसेसिंग के लिए क्फ्,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।