PATNA : पहली बार ख्फ् मार्च को क्भ् मिनट, दूसरी बार ख्8 मार्च को आधा घंटे और तीसरी बार क्क् अप्रैल को क्ख् घंटे तक सूबे की लाखों गाडि़यों के पहिए थमे रहे। और ये सब हुआ पेट्रोल-डीजल नहीं मिलने के कारण। कारण है कि बीते म् महीने में 9 पेट्रोल पंप को लूटा जा चुका है और सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। नतीजा ये हुआ कि पटनाइट्स के साथ-साथ बाहर से आए वाहन चालकों की खूब फजीहत हुई। हालांकि पंप बंद रहने की सूचना पहले ही दी जा चुकी थी। लेकिन जिन्हें जानकारी नहीं थी वे एक पंप से दूसरे पंप तक चक्कर काटते रहे लेकिन तेल नहीं मिला। अलबत्ता तेल के चक्कर में 'तेल' निकल गई। दैनिक जागण आई नेक्स्ट ने ग्राउंड रिपोटिंग के जरिए जाना कि लोगों को कैसे समस्याओं से दो-दो हाथ होना पड़ा। पेश है रिपोर्ट

फ्रेजर रोड

यहां पाम ट्री सर्विस स्टेशन पर बेरियर लगा था। कर्मचारी ने बताया कि पूर्व में सूचना के बाद भी लोग पेट्रोल और डीजल देने को मजबूर कर रहे हैं। डेली औसतन 7000 लीटर ईधन की बिक्री होती है।

डाकबंगला चौराहा

यहां से चंद कदम दूरी पर पंप है, जिसका गेट बंद था। कर्मचारियों में अधिकांश लड़कियां हैं। पंप बंद होने से सभी आराम फरमाते दिखीं। पूछने पर कहा कि सुबह से लोग आ रहे हैं लेकिन तेल देने से मना किया गया है।

पूर्वी गांधी मैदान

यहां भी लोहे का बेरियर लगा था। ऑफिस में कुछ लोग बात करते दिखे, मगर बात नहीं की। आसपास में गैलन में पेट्रोल बिक रहा था। क्00 रुपए प्रति लीटर। मिलावट के बावजूद लोग मजबूरी में ले रहे थे।

राजा बाजार

यहां आरएन अग्रवाल एंड संस पेट्रोल पंप पर भी ताला लटका हुआ था। पूछने पर गार्ड ने कहा कि लोगों की मांग है कि पेट्रोल-डीजल दें। लेकिन मालिक ने सख्त आदेश दिया है। कहा है आज तेल नहीं बिकेगा।

गोसाई टोला

यहां पाटलिपुत्रा सर्विस स्टेशन है। हाथ में बोतल लिए कुछ लड़के पेट्रोल लेने आए थे, मगर लौटा दिया गया। ऐसे ही और कई पटनाइट्स पहुंचे। फरियाद करते रहे। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।

बातचीत

कार में डीजल नहीं होने से बाइक से काम चलाना पड़ रहा है। बैंक से लेकर अन्य काम पर असर पड़ रहा है।

बलजीत सिंह, साइकिल डीलर

स्ट्राइक के बारे में जानकारी नहीं थी। पेट्रोल के लिए दो-तीन पंप का चक्कर लगाया। जो भी ईधन था, वह भी खत्म हो गया।

रेखा, ब्यूटीशियन, कुर्जी

मरीज लेकर आया हूं। अब उसे नर्सिग होम ले जाना है। कार में डीजल नहीं है और पेट्रोल पंप वाले देने को तैयार नहीं हैं।

मोहन कुमार, दीपनगर, नालंदा

स्ट्राइक का पता नहीं था। बिजनेस के बाद कोर्ट के काम से वकील के यहां जाना है। क्या करें समझ नहीं आ रहा है।

हिमांशु त्रिपाठी, डाकबंगला

इतना देर पंप बंद रहेगा सोचा नहीं था। फुटपाथ पर बिकनेवाले पेट्रोल पर भरोसा नहीं है। क्या करें कोई मदद नहीं कर रहा है।

राकेश कुमार, फ्रेजर रोड

बच्चों को स्कूल से लाना है। लेकिन बाइक में पेट्रोल ही नहीं है। क्या करें। अब तो ऑटो मिल जाए तो ही कुछ बात बने।

-ध्रुव कुमार, कदमकुआं