-बिहार में स्पो‌र्ट्स, मेडिकल और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी बनाने का है प्रस्ताव

-कैबिनेट की बैठक में 21 प्रस्ताव को दी गई मंजूरी

PATNA: सरकार ने प्रखंड स्तर पर बीडीओ (प्रखंड विकास पदाधिकारी) और जिला स्तर पर डीडीसी (उप विकास आयुक्त) के पर कतर दिए हैं। पंचायती राज विभाग की योजनाओं से दोनों श्रेणी के अधिकारियों को बेदखल कर दिया है। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 21 प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। मंत्री वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए। इसमें सबसे अहम यह कि सरकार ने प्रस्तावित तीन नए खेल, मेडिकल और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में गवर्नर के बजाय सीएम को चांसलर (कुलाधिपति) बनाने का निर्णय लिया है। वहीं, त्रिस्तरीय पंचायत की योजनाओं के लिए प्रखंड स्तर पर बीडीओ की जगह अब प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे। जिला स्तर पर इसके लिए डीडीसी की जगह बिहार प्रशासनिक सेवा के नए अधिकारी का पद सृजित किया गया है।

सीएम की लगेगी मुहर

बिहार में तीन नए विश्वविद्यालय (खेल, चिकित्सा और इंजीनिय¨रग विश्वविद्यालय) की स्थापना होनी है। इन तीनों विश्वविद्यालय में होने वाले तमाम फैसलों पर राज्यपाल के बजाय मुख्यमंत्री की मुहर लगेगी। कैबिनेट द्वारा बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग कार्य संचालन नियमावली-2021 के प्रारूप पर स्वीकृति प्रदान की गई।

हर विधानसभा क्षेत्र में पीएचसी

कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार कानून में किए गए इन चार महत्वपूर्ण बदलावों से संबंधित विधेयक को 26 जुलाई से शुरू होने विधानमंडल के मानसून सत्र में पास कराएगी। इसके अलावा सजायाफ्ता कैदियों की सजा पूरी होने से पहले ही छोड़ने का सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। हर विधानसभा क्षेत्र में एक पीएचसी और पांच उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने को मंजूरी दी गई है।

रिहा होंगे सजा काट चुके कैदी

जिन कैदियों की सजा एक से चार महीने तक की बची रह गई है, उन्हें जेल से छोड़ने का निर्णय लिया गया है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए परिहार का लाभ देकर जेल से छोड़ने का प्रस्ताव पास किया गया है। डीएफसीसीआइएल परियोजना निर्माण के लिए औरंगाबाद में सात व दो एकड़ जमीन डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर कॉरपोरेशन को हस्तांतरित किया गया है।

पंचायती राज के काम की उपेक्षा

सरकार का मानना है कि जिला मुख्यालय में डीडीसी के पास ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित योजनाओं के साथ अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारी होती है। इस कारण वे पंचायती राज विभाग की योजनाओं की निगरानी सही ढंग से नहीं कर पा रहे। प्रखंडों में कमोवेश यही स्थिति बीडीओ के साथ है। ऐसे में सरकार ने बीडीओ और जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी यानी डीडीसी पर काम के दबाव को कम करने का निर्णय लिया है।

सीएचसी के लिए राशि स्वीकृत

कटिहार जिला में सेमापुर बरारी स्थित स्वास्थ्य केंद्र के तत्कालीन चिकित्सा पदाधिकारी डा। बिंदेश्वरी प्रसाद साहू को सेवा से बर्खास्त किया गया है। एक हजार 15 स्वास्थ्य उप केंद्र, 228 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 86 प्रखंडों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के लिए 1,754 करोड़ 99 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। उन प्रखंडों में अभी सीएचसी नहीं हैं। सदर अस्पातल और मेडिकल कालेजों, अनुमंडलीय अस्पतालों में आक्सीजन जेनरेशन प्लांट के संचालन के लिए ट्रांसफर्मर की आपूíत और उसे लगाने के लिए 54 करोड़ आठ लाख 48 हजार रुपये की स्वीकृति दी गई है।