पटना(ब्यूरो)। वाणिज्य महाविद्यालय की स्थापना 1974 में हुई थी, लेकिन यह बात कम लोग ही जानते है कि वाणिज्य महाविद्यालय का अब तक अपना भवन नहीं है। यह पटना कॉलेज के उधार के भवन में चलता है। ऐसे में यहां पढऩे वाले विद्यार्थियों को कई समस्याओं से जुझना पड़ता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट अपने अभियान ये सवाल है फ्यूचर का की कड़ी में पहुंचा वाणिज्य महाविद्यालय। पढि़ए रिपोर्ट

भूमि पूजन के बावजूद नहीं शुरू हुआ निर्माण

पटना विश्वविद्यालय में वाणिज्य महाविद्यालय 1974 से पटना कॉलेज कैंपस के भवन में संचालित हो रहा है, लेकिन अब तक इस कॉलेज का अपना भवन नहीं है। तत्कालीन वाइस चांसलर रासबिहारी प्रसाद सिंह के कार्यकाल में ही सैदपुर में वाणिज्य महाविद्यालय का नया भवन बनाने की बात उठी थी, लेकिन बजट और अन्य कारणों से यह लंबित रहा है। भवन निर्माण को सैदपुर छात्रावास में भूमि पूजन भी पूर्व प्राचार्य बीएन पांडेय ने किया था, लेकिन इसके पांच साल बीतने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। यह मामला सीनेट के बैठक में भी कई बार उठाया जा चुका है।

दो स्तरों पर बड़ा बदलाव

जानकारों का कहना है कि यदि सैदपुर कैंपस में वाणिज्य महाविद्यालय की नई बिल्डिंग बनती तो केवल छात्रों के लिए सुविधाएं नहीं बढेंगी बल्कि और भी लक्ष्य पूरे होते। साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव और एकेडमिक दोनों ही स्तरों पर बड़ा बदलाव होता। नए भवन में शिक्षक और छात्रों की संख्या, कंप्यूटर लैब, बिजनेस लैब, बॉयज कॉमन रूम, गल्र्स कॉमन रूम, सेमिनार हॉल आदि बनने थे। यहां कॉमर्स की पढ़ाई ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से कराए जाने की भी उम्मीद थी, लेकिन पिछले 5 सालों से ठंडे बस्तेे में है। अप्लाइड इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की बात करें तो यह सिर्फ दरभंगा हाउस में कराई जाती है। जिसका संचालन नए भवन में लैब के साथ होना था

कॉमन रूम की स्थिति खराब

वाणिज्य महाविद्यालय के छात्रों का कहना है कि कॉलेज में उनके लिए कॉमन रूम की व्यवस्था नहीं है। छात्र इधर-उधर बैठते हैं। गल्र्स कॉमन रूम की भी स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। साफ-सफाई का ध्यान नहीं दिया जाता है। स्पोटर््र्स रूम कभी खुलता ही नहीं। इसके लिए कई बार उन्होंने आवाज उठाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

सभी क्लास रूम में साउंड सिस्टम हो

वाणिज्य महाविद्यालय के सभी क्लास रूम काफी बड़े बड़े हैं। माइक व साउंड सिस्टम नहीं होने की वजह से पीछे बैठने वाले छात्रों को लेक्चरर की आवाज साफ सुनाई नहीं देती। इतना ही नहीं क्लास रूम की मूलभूत सुविधाओं जैसे बल्ब, पंखा, बोर्ड, प्रोजेक्टर आदि पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं सेमिनार हॉल के सभी कंप्यूटर लंबे समय से खराब पड़े हैं। इसका भी बदलाव समय के साथ किया जाना चाहिए जो होता नहीं है। कई क्लास रूम में तो सही से रोशनी भी नहीं आती।

कैमरा-लिफ्ट पड़े हैं खराब

कॉलेज में क्लास रूम हो या बाहरी परिसर सीसीटीवी लगे हैं। वर्तमान में सीसीटीवीे सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैैं। कॉलेज में कई बार अनहोनी हो चुकी है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से भी इसके प्रति किसी का ध्यान इस पर नहीं जाता। वहीं पहले से तीसरे तले तक जाने को लगाई गई लिफ्ट कई महीनों से बंद पड़े हैं। लिफ्ट के दरवाजे पर साइकिल लगाकर गेट को जाम कर दिया गया है। यहां तक कि जेनसेट भी कचरा बना हुआ है।

पीने के पानी व्यवस्था हुई

छात्रों ने बताया कि कॉलेज में कई महीनों से वाटर कूलर खराब पड़े थे। ऐसे में पीने के पानी की बड़ी समस्या गर्मी के दिनों में हो गई थी लेकिन छात्रों की इस समस्या को हाल के दिनों में दूर किया गया। पुराने की जगह दो नए वाटर कूलर ग्राउंड व थर्ड फ्लोर पर लगाया गया है। वहीं वोकेशनल कोर्स के क्लास में उनकी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रहीं। बीबीए व बीकॉम के क्लास रूम में स्मार्ट बोर्ड होना चाहिए जो नहीं है।

कॉलेज लाइब्रेरी में किताबें नहीं

छात्रों के लिए कॉलेज में लाइब्रेरी तो बनाई गई है लेकिन इसका फायदा स्टूडेंट को नहीं मिल रहा। खासकर उन निर्धन छात्रों को जो किताब खरीदने में असमर्थ है, क्योंकि किसी भी विषय की लाइब्रेरी में एक ही किताब है। यदि दो छात्रों को एक ही किताब की जरूरत पड़ गई तो खरीदने के अलावा उनके सामने कोई उपाय नहीं है। लाइब्रेरी में किताबों के साथ-साथ बैठने व लाइट की भी व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए।