नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिहार के इस इकलौते साइबर सेल के पास वर्तमान में एक भी ट्रेंड पुलिस पदाधिकारी नहीं है। सब इंस्पेक्टर विनय प्रकाश को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया था। जहां उन्होंने साइबर क्राइम से निपटने की ट्रेनिंग ली थी। लेकिन ट्रेनिंग के कुछ समय बाद ही इनका ट्रांसफर एटीएस में कर दिया गया। जिसके बाद एक भी ट्रेंड सब इंस्पेक्टर या पुलिस पदाधिकारी साइबर सेल के पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठाता है कि बगैर एक्सपर्ट के साइबर सेल का क्या काम है?
दे दी गई एक्स्ट्रा जिम्मेदारी
ऐसे साइबर सेल की जिम्मेदारी एएसपी निलेश कुमार के ऊपर है। निलेश कुमार को साइबर मामलों का अच्छा जानकार भी माना जाता है। इनकी अगुआई वाली टीम ने पटना पुलिस के अलावे दूसरे जिलों के साइबर क्राइम से जुड़े कई बड़े मामलों की गुत्थी को सुलझाया भी है। लेकिन मामला तब फंस गया, जब इन पर डिपार्टमेंट ने एक्स्ट्रा जिम्मेदारी सौंप दी। इन्हें सेक्रेटेरियट की सिक्योरिटी का जिम्मा सौंप दिया गया। जहां सीएम नीतीश कुमार से लेकर कई मिनिस्टर बैठते हैं। ऐसे में साइबर सेल के लिए टाइम निकाल पाना इनके लिए भी मुश्किल हो रहा है.
ढूंढने से भी नहीं मिलेगा साइबर सेल
इकलौते साइबर सेल की हालत ऐसी है कि आप उसे ढूंढते रह जाएंगे, लेकिन आप वहां पहुंच नहीं पाएंगे। अपना पीछा छुड़ाने के चक्कर में थानों की पुलिस साइबर से जुड़े मामले को दर्ज करने के बजाए पीडि़तों को सीधे साइबर सेल भेज देते हैं। बेचारे पीडि़त निकलते तो हैं साइबर सेल जाने के लिए लेकिन उन्हें इसका पता नहीं मालूम होता है। पीडि़त कभी पटना के कोतवाली थाने का चक्कर लगाते दिखते हैं तो कभी सेल के ऑफिस का पता पूछते.
नहीं लगा है इंफॉरमेशन बोर्ड
साइबर सेल इन दिनों बेली रोड से सटे देश रत्न मार्ग स्थित आर्थिक अपराध शाखा की बिल्डिंग में चल रही है। लेकिन साइबर सेल नाम का एक भी इंफॉरमेशन बोर्ड नहीं लगा है। इस कारण लोगों को सेल के बारे में पता नहीं चलता। उन्हें लगता है कि यहां तो सिर्फ आर्थिक अपराध शाखा की ही ऑफिस है। इस बारे में जब पुलिस अधिकारियों से कुछ पूछा जाता है तो वो अपने सीनियर का हवाला दे कुछ बोलने को तैयार नहीं होते.
नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिहार के इस इकलौते साइबर सेल के पास वर्तमान में एक भी ट्रेंड पुलिस पदाधिकारी नहीं है। सब इंस्पेक्टर विनय प्रकाश को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया था। जहां उन्होंने साइबर क्राइम से निपटने की ट्रेनिंग ली थी। लेकिन ट्रेनिंग के कुछ समय बाद ही इनका ट्रांसफर एटीएस में कर दिया गया। जिसके बाद एक भी ट्रेंड सब इंस्पेक्टर या पुलिस पदाधिकारी साइबर सेल के पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठाता है कि बगैर एक्सपर्ट के साइबर सेल का क्या काम है?
ऐसे साइबर सेल की जिम्मेदारी एएसपी निलेश कुमार के ऊपर है। निलेश कुमार को साइबर मामलों का अच्छा जानकार भी माना जाता है। इनकी अगुआई वाली टीम ने पटना पुलिस के अलावे दूसरे जिलों के साइबर क्राइम से जुड़े कई बड़े मामलों की गुत्थी को सुलझाया भी है। लेकिन मामला तब फंस गया, जब इन पर डिपार्टमेंट ने एक्स्ट्रा जिम्मेदारी सौंप दी। इन्हें सेक्रेटेरियट की सिक्योरिटी का जिम्मा सौंप दिया गया। जहां सीएम नीतीश कुमार से लेकर कई मिनिस्टर बैठते हैं। ऐसे में साइबर सेल के लिए टाइम निकाल पाना इनके लिए भी मुश्किल हो रहा है।
ढूंढने से भी नहीं मिलेगा साइबर सेल
इकलौते साइबर सेल की हालत ऐसी है कि आप उसे ढूंढते रह जाएंगे, लेकिन आप वहां पहुंच नहीं पाएंगे। अपना पीछा छुड़ाने के चक्कर में थानों की पुलिस साइबर से जुड़े मामले को दर्ज करने के बजाए पीडि़तों को सीधे साइबर सेल भेज देते हैं। बेचारे पीडि़त निकलते तो हैं साइबर सेल जाने के लिए लेकिन उन्हें इसका पता नहीं मालूम होता है। पीडि़त कभी पटना के कोतवाली थाने का चक्कर लगाते दिखते हैं तो कभी सेल के ऑफिस का पता पूछते.
नहीं लगा है इंफॉरमेशन बोर्ड
साइबर सेल इन दिनों बेली रोड से सटे देश रत्न मार्ग स्थित आर्थिक अपराध शाखा की बिल्डिंग में चल रही है। लेकिन साइबर सेल नाम का एक भी इंफॉरमेशन बोर्ड नहीं लगा है। इस कारण लोगों को सेल के बारे में पता नहीं चलता। उन्हें लगता है कि यहां तो सिर्फ आर्थिक अपराध शाखा की ही ऑफिस है। इस बारे में जब पुलिस अधिकारियों से कुछ पूछा जाता है तो वो अपने सीनियर का हवाला दे कुछ बोलने को तैयार नहीं होते.
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