लखनऊ (ब्यूरो)। मोहनलालगंज के रहने वाले अमृत लाल से साइबर जालसाजों ने लोन देने के नाम पर ऑनलाइन 23 हजार रुपये की ठगी कर ली। जब उन्होंने थाने जाकर शिकायत की तो जवाब मिला कि हजरतगंज साइबर सेल में अपनी शिकायत दर्ज करवाएं, यहां कुछ नहीं होगा। वह फौरन साइबर सेल पहुंचे ताकि ठगी की रकम उन्हें वापस मिल जाए। पर जबतक वह हजरतगंज साइबर सेल पहुंचते तब तक जालसाजों ने ठगी की रकम निकाल ली थी। यह केस तो महज एक उदाहरण है, ऐसे रोजाना न जाने कितने केस आते हैं। इसे देखते हुए जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के थानों में बने हेल्प डेस्क का रियलिटी चेक किया तो सच्चाई सामने आ गई। पढ़िये पूरी रिपोर्ट

पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा खमियाजा

साइबर क्राइम पर नकेल कसने के लिए शहर के अलग-अलग थानों में साइबर क्राइम हेल्प डेस्क का गठन किया गया था, ताकि साइबर अपराधों का त्वरित गति से निवारण हो और पीड़ितों को भागदौड़ न करनी पड़े। जिसके बाद लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की तरफ से कैसरबाग, वजीरगंज, सआदतगंज आदि कई थानों में साइबर हेल्प डेस्क बनाई गई। इसमें बकायदा प्रशिक्षण पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई, ताकि किसी के साथ साइबर क्राइम होने पर फौरन केस को सॉल्व किया जाए। हालांकि, अब अधिकतर थानों में ठीक इसके उलट हो रहा है, जिसका खमियाजा साइबर क्राइम का शिकार हुए पीड़ित भुगत रहे हैं।

यहां नहीं, हजरतगंज में दर्ज होगी शिकायत

टीम पहले महानगर थाने पहुंची, यहां पर पुलिसकर्मियों से पूछने पर पता चला कि साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराने के लिए हजरतगंज साइबर सेल जाना पड़ेगा। यही हाल कैसरबाग और वजीरगंज थाने का भी था। हैरानी की बात है कि कैसरबाग थाने में साइबर हेल्प डेस्क पर पुलिसकर्मी की ड्यूटी तो थी, लेकिन यहां पर शिकायत लेने के बजाय हजरतगंज साइबर सेल जाने को कहा गया। इसी तरह जब टीम वजीरगंज कोतवाली पहुंची तो यहां पर साइबर हेल्प डेस्क पर कोई नहीं था। पूछने पर पता चला कि यह डेस्क सिर्फ नाममात्र के लिए है, किसी के साथ फ्रॉड होने पर उसे साइबर सेल भेज दिया जाता है।

थानों में सुनवाई न होने से बढ़ता है बोझ

साइबर सेल में तैनात एक अधिकारी बताते हैं कि एक साइबर फ्रॉड को सॉल्व करने के लिए जालसाजों के बैंक खातों को खंगालने की प्रकिया काफी लंबी होती है, क्योंकि इनके खाते से आगे से आगे कई बैंकों के खातों में लिंक होता है और फिर इनको पकड़ने के लिए कई दिन का समय लगता है। जब तक एक शिकायत पर काम होता है। कर्माचारी के पास अन्य शिकायतों की वेटिंग हो जाती है। जिससे पीड़ित का पैसा वापस मिलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। ऐसे में अगर थानों में साइबर हेल्प डेस्क बनवाई गई है तो वहां बैठे कर्मचारियों को पीड़ितों की मदद करनी चाहिए। इसके लिए उन्हें बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई है। थानों में साइबर फ्रॉड की शिकायतें न सुने जाने से साइबर सेल पर बोझ बढ़ता है।

पैसा रिटर्न के लिए पहले 2 घंटे सबसे जरूरी

यूपी पुलिस के साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा कहते हैं कि साइबर ठगी होने के बाद तुरंत साइबर पुलिस को सूचना देना बहुत जरूरी है। समय से जानकारी मिलने पर साइबर पुलिस अपनी कार्रवाई जल्द से जल्द शुरू कर देती है और जालसाजों को ट्रेस करने का समय मिल जाता है। अगर 1930 को कॉल करने से लेकर बैंक व पुलिस को ठगी होने के अगले दो घंटों में जानकारी साझा कर दे देते हैं तो पीड़ित को पैसे वापस मिलने की संभावना अधिक हो जाती है। राहुल कहते हैं कि दूर-दराज इलाकों के पीड़ितों की मदद थानों में अगर नहीं होगी तो फिर उन्हें साइबर सेल जाते-जाते जरूरी समय तो खत्म हो ही जाएगा।

थानों में क्या मिला रिस्पांस

कैसरबाग थाना साइबर हेल्प डेस्क

रिपोर्टर- मैडम, मेरे भाई के साथ ऑनलाइन 12 हजार रुपये की ठगी हो गई है।

पुलिसकर्मी- यहां कुछ नहीं होगा, इसके लिए आपको साइबर सेल जाना होगा।

रिपोर्टर- यहां तो साइबर हेल्प डेस्क है, आप लोग कुछ नहीं कर सकते?

पुलिसकर्मी- नहीं, साइबर सेल में शिकायत देने के बाद वहां से नंबर मिलेगा, फिर कार्रवाई होगी।

रिपोर्टर-साइबर सेल जाने में देरी हो जाएगी, तब तक खाते से पैसा न निकल जाए।

पुलिसकर्मी- हां ये तो है, तभी बोल रही हूं कि यहां से जाइये।

वजीरगंज थाना (साइबर हेल्प डेस्क का कमरा बंद था)

रिपोर्ट- सर, मेरे भाई के साथ ऑनलाइन 12 हजार रुपये की ठगी हो गई है।

पुलिसकर्मी- ऑनलाइन ठगी की यहां शिकायत दर्ज नहीं होगी, साइबर सेल जाना होगा।

रिपोर्टर- बाहर साइबर हेल्प डेस्क है, वहां कुछ नहीं हो सकता?

पुलिसकर्मी- नहीं, वहां नहीं होगा। वहां कोई बैठता नहीं है।

रिपोर्टर- साइबर डेस्क बना हुआ था, सोचा यहीं पर शिकायत दर्ज हो जाएगी।

पुलिसकर्मी- यहां कोई साइबर एक्सपर्ट नहीं है, ये तो ऐसे ही बन गया था।

सआदतगंज थाना (साइबर हेल्प डेस्क केबिन के बाहर कुंडी लगी थी)

रिपोर्टर- सर, मेरे भाई के साथ ऑनलाइन 12 हजार रुपये की ठगी हो गई है।

पुलिसकर्मी- कैसे हुई है ठगी?

रिपोर्टर- टेलीग्राम के माध्यम से हो गई है।

पुलिसकर्मी- यहां शिकायत दर्ज नहीं होगी, इसके लिए साइबर सेल जाना होगा।

रिपोर्टर- सर, यहां पर साइबर हेल्प डेस्क बना हुआ है, उसमें कुछ नहीं होगा

पुलिसकर्मी- नहीं, वहां कोई काम नहीं होगा। वह बंद है।

जानिये साइबर हेल्प डेस्क का काम

शहर के अधिकतर थानों में साइबर हेल्प डेस्क बनाया गया है, जहां पर पीड़ित की फरियाद सुनकर तुरंत डेस्क पर बैठा पुलिसकर्मी ई-मेल के माध्यम से फौरन इसकी सूचना साइबर सेल में बैठे एक्सपर्ट को देता है, ताकि एक्सपर्ट ठगों के अकाउंट को फ्रीज कर पैसे को बचा सके। साइबर सेल इंस्पेक्टर सतीश चंद्र साहू ने बताया कि ठगी की शिकायत ज्यादातर यहीं आती है। थानों से कई बार केस तो आता है कई बार पीड़ित खुद ही यहां आ जाता है।