-मंदिर के पास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, कमान संभाल रहे अधिकारी

PATNA/GAYA: तिब्बतियों के अध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा गुरुवार को महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध के शरणागत हुए। मंदिर के गर्भगृह में उन्होंने करीब आधे घंटे तक परंपरा के अनुसार पहले साक्षात दंडवत मुद्रा में भगवान बुद्ध को प्रणाम किया फिर पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना से पहले उन्होंने महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा, केयर टेकर भंते दीनानंद, भंते मनोज आदि को हिन्दी में कहा 'पहले मंगल सूत्त पाठ कीजिए.' फिर सभी भिक्षुओं ने धर्मगुरु का आदेश समझ मंगल सूत्त पाठ किया। उसके बाद धर्मगुरु आसन पर बैठकर तिब्बती भाषा में सूत्त पाठ करते हुए पूजा-अर्चना किया। भगवान बुद्ध के प्रतिमा के समक्ष उन्होंने मंगल दीप जलाकर सभी के लिए मंगलकामना की और फूलों का अभिषेक किया। गर्भगृह से निकलने के क्रम में वहां तैनात सभी कर्मियों से आत्मीय भाव से मिले और 'अतिसुन्दर-अतिसुन्दर' शब्द का उच्चारण करते हुए बाहर निकल गए। बोधिवृक्ष की परिक्रमा और फिर वापसी के क्रम में पश्चिमी द्वार के सीढ़ी से उन्होंने दो बार पवित्र बोधिवृक्ष को निहारा।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

दलाई लामा के महाबोधि मंदिर में आने को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई थी। हालांकि धर्मगुरु मंदिर के पश्चिमी द्वार से प्रवेश किए। लेकिन मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार को आम श्रद्धालुओं के लिए पूर्व से बंद कर दिया गया था। मंदिर के प्रथम द्वार पर दंडाधिकारी से लेकर पुलिस अधिकारी और दलाईलामा के सुरक्षाकर्मी सुरक्षा का कमान संभाले थे। इधर से किसी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। मंदिर के चप्पे-चप्पे को श्वान दस्ता के अलावे सुरक्षा उपकरणों से जांच की गई।

झलक पाने की ललक

धर्मगुरु के मंदिर में आने की सूचना को लेकर काफी संख्या में बौद्ध श्रद्धालु मंदिर में पूर्व से प्रवेश कर गए थे। ज्यों हि धर्मगुरु मंदिर के पश्चिमी द्वार से प्रवेश किए। सभी की निगाहें एक झलक पाने को लालायित दिखी। हाथों में खादा (श्रद्धा व आस्था का प्रतीक वस्त्र) और श्रद्धा भाव श्रद्धालु निवेदित कर रहे थे। वहीं, पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में धर्मगुरु के आने वाले मार्ग के दोनों ओर बौद्ध लामाओं द्वारा सूत्त पाठ किया जा रहा था। यह सिलसिला धर्मगुरु के आगमन और वापसी तक बना रहा। धर्मगुरु सभी का अभिवादन हाथ हिलाकर स्वीकार किया।