- कंकड़बाग की झूमा बनर्जी की बेटी बेटे से नहीं है कम

- दुश्वारियों में काटा संघर्ष के दिन, अब बन गई एक नजीर

- पति को खोने से सब कुछ लुटा, बेटी के प्यार में बहुत कुछ मिला

PATNA : जब शादी तय हुई तो घर बसाने को लेकर कई सपने पलकों में बस गए। छोटे से परिवार में लाखों खुशियों का अरमान लेकर ससुराल गई। बेटियों के लगाव के कारण बेटी की ही चाहत रही। ऊपर वाले ने इस ख्वाहिश को पूरी भी कर दी, लेकिन एक सड़क हादसे में पति को खोने के बाद पूरा अरमान चकनाचूर हो गया। मासूम बेटी से जीने का सहारा मिला और आज ऐसे लोगों के लिए चुनौती बनी हैं जो बेटे की चाहत में बेटियों का गला कोख में ही घोट रहे हैं। आई नेक्स्ट के साथ उन्होंने अपना दुख दर्द साझा करते हुए कहा कि उनकी जान बेटी में बसती है और बेटे की कभी चाहत ही नहीं रही।

- खुशी कम दर्द अधिक मिला

कंकड़बाग की रहने वाली झूमा बनर्जी पटना में अपने पिता होम्योपैथ चिकित्सक शंकर चटर्जी के साथ रहती थीं। वर्ष क्99क् में उनकी शादी बुधजीत बनर्जी के साथ हुई। शादी के बाद उन्होंने ऊपर वाले से एक बेटी मांगी और वर्ष क्99फ् में ये मुराद पूरी हो गई। उन्होंने डॉक्टर से भी बोल रखा था कि उन्हें बेटी की खुशखबरी चाहिए बेटे की नहीं। बेटी पाने के बाद वह दूसरी संतान की इच्छा नहीं की। कलकत्ता में बाइक दुर्घटना में पति की मौत ने उन्हें तोड़ दिया। जीने की इच्छा मर गई लेकिन बेटी के सहारे जिंदा रहीं और आज बेटी से उन्हें हर खुशी मिल रही है।

- बेटी नहीं मेरी गार्जियन

झूला बनर्जी का कहना है कि बेटी को पढ़ाया और वह जैसे बड़ी हुई दोस्त की तरह रहने लगी। आज वह आईसीआईसीआई बैंक में बतौर डिप्टी मैनेजर सलेक्ट हुई है और बंगलुरू में प्रशिक्षण ले रही है। झूला का कहना है कि उनकी बेटी आरात्रिका ने उन्हें वो खुशी दी है जो एक बेटा कभी नहीं दे सकता है। उनका कहना है कि जीवन का वो दौर काफी गमजदा था लेकिन आज खुश हूं।

- बेटी लक्ष्मी है,ं अनादर करने वाले बदनसीब

झूला बनर्जी का कहना है कि बेटियों लक्ष्मी के समान हैं और इनकी इज्जत करनी चाहिए। जो लोग इन्हें गर्भ में मारते हैं या फिर अनादर करते हैं वह बदनसीब हैं। बेटियों की कीमत वही जानता है जिसके पास ये होती हैं। उनका कहना है कि वे लायंस क्लब पटना फेमिना से जुड़कर बेटियों के लिए ही काम कर रही हैं। बेटियों को बढ़ाने और कन्या भू्रण हत्या रोकने के लिए हमेशा एक्टिव रहती हैं। वह अपनी जिंदगी का उदाहरण देकर समाज को बड़ा संदेश देने का काम कर रही हैं।