गृह विभाग के प्रधान सचिव ने कहा, कोर्ट से भी मिल चुकी है के एस द्विवेदी को क्लिनचिट

PATNA: बिहार के नए डीजीपी के एस द्विवेदी के समर्थन में गृह विभाग के प्रधान सचिव उतर आए है। डीजीपी बनने के बाद उन पर विपक्ष की ओर से कई सवाल उठाए गए थे। विपक्ष द्वारा वर्ष 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी केएस द्विवेदी को बिहार का नया डीजीपी बनाए जाने के बाद भागलपुर दंगे में उनकी भूमिका को लेकर उठाए गए सवालों का सरकार ने गुरुवार को जवाब दिया है। राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि द्विवेदी पर भागलपुर दंगा को लेकर किसी तरह के आरोप नहीं हैं। उन्हें पहले पटना हाइकोर्ट ने और फिर सुप्रीमकोर्ट ने क्लीन चिट दे दिया है। द्विवेदी वर्ष 1989 में भागलपुर दंगे के समय वहां के पुलिस अधीक्षक थे।

तेजस्वी ने किया था विरोध

गौरतलब है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने केएस द्विवेदी को राज्य का डीजीपी बनाए जाने का विरोध किया था। तेजस्वी यादव ने द्विवेदी को भागलपुर दंगा का आरोपी तक बताया था। सुबहानी ने कहा कि सरकार ने द्विवेदी की डीजीपी पद पर नियुक्ति उनकी वरीयता के आधार पर की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1989 के भागलपुर दंगा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के दो सदस्यों न्यायमूर्ति रामचंद्र प्रसाद सिन्हा और न्यायमूर्ति एस समशुल हसन ने अपनी जांच रिपोर्ट में द्विवेदी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और कर्तव्य के निर्वहन में कोताही की बात कहकर प्रतिकूल टिप्पणी की थी। जबकि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति रामनंदन प्रसाद ने दंगे के समय द्विवेदी के कार्यों की सराहना की और कहा कि उनके द्वारा अपने कर्तव्य के निर्वहन में कोताही बरतने तथा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने की बात गलत है। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के बाद द्विवेदी समेत कई अन्य पुलिस अधिकारियों ने पटना हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 20 दिसंबर, 1996 को आयोग की जांच रिपोर्ट में द्विवेदी समेत कई अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को खंडित करने का आदेश जारी किया। साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर द्विवेदी के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाए। गृह सचिव ने कहा कि के एस द्विवेदी का सेवा इतिहास स्वच्छ रहा है।