- कॉफी विथ आई नेक्स्ट में साइबोटेक कैम्पस के डायरेक्ट अभिजीत कुमार और डीन रेणुका यशस्वी ने कही बात

PATNA : देश में डिस्टेंस लर्निग एजुकेशन की उपयोगिता विदेशों की अपेक्षा काफी कम है। यहां खुद एजुकेशन मिनिस्ट्री डिपार्टमेंट की ओर से जारी नई गाइड लाइन के कारण यह उलझकर रह गया है, जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इतना ही नहीं डिस्टेंस लर्निग एजुकेशन के प्रति हमें अपनी सोच बदलनी होगी। सरकारी नौकरी में इसकी डिग्री की मान्यता और पढ़ाई का स्तर को लेकर जो धारणा बनी थी, वह गलत है। शनिवार को आई नेक्स्ट पहुंचे साइबोटेक कैम्पस के डायरेक्टर अभिजीत कुमार और डीन रेणुका यशस्वी ने 'कॉफी विथ आई नेक्स्ट' में यह बात कही।

दुरस्त शिक्षा को बदनाम करने की साजिश

उन्होंने शिक्षा जगत के कुछ लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये दुरस्त शिक्षा प्रणाली को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इसके जरिए जो सिलेबस पढ़ाया जाता है, वह काफी अपडेटेड होता है। जैसे आप टैब पर सारे यूनिट को डाउनलोड कर सकते हैं। चैट के जरिए डिशक्शन कर सकते हैं।

नए नियम में उलझ गई दुरस्त शिक्षा

अभिजीत ने बताया कि सेंट्रल एजुकेशन मिनिस्ट्री की ओर से दुरस्त शिक्षा को लेकर जारी नई गाइड लाइन के मुताबिक अब छात्रों को संबंधित यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ाई करनी होगी और एग्जाम देने होंगे। जबकि पहले छात्र संबंधित यूनिवर्सिटी के दुरस्त शिक्षा में दाखिला लेकर कहीं से भी पढ़ाई कर कहीं एग्जाम देते थे।

लोगों को बदलनी होगी सोच

उन्होंने बताया कि डिस्टेंस लर्निग एजुकेशन को लेकर देश की कम्पनियों में धारणा बनी है कि यह सर्टिफिकेट कोर्स कराती है और पढ़ाई बेहतर नहीं होता। साथ ही सरकारी नौकरी में इनकी डिग्री को मान्यता नहीं दी जाती है। जबकि यह सही नहीं है। यहां से भी लोग काफी अच्छे निकलते हैं, जो बड़ी पोस्टों पर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों में भी इनकी डिग्री की मान्यता है। वे इस बेसिस पर सरकारी नौकरी में अप्लाई कर सकते हैं।