- शुक्रवार की देर शाम सुरक्षा मिलने के बाद डॉक्टर काम पर लौटे

PATNA

एनएमसीएच में गुरुवार की रात आईसीयू में तोड़फोड़ के बाद से यहां पेशेंट केयर और प्रशासनिक व्यवस्था बेपटरी हो गई। शुक्रवार को यहां के ईएनटी डिपार्टमेंट में कोरोना पेशेंट की मौत के बाद उनके परिजन जूनियर डॉक्टर्स के साथ मारपीट करने लगे। इसके बाद जूनियर डॉक्टर दोबारा से कार्य बहिष्कार पर चले गए।

शुक्रवार की शाम डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने एनएमसीएच कैंपस का विजिट किया और अस्पताल प्रशासन के साथ मीटिंग की। इसमें जूनियर डॉक्टर्स ने सुरक्षा समेत स्टाफ और संसाधनों की कमी को विस्तृत रूप से रखा। उनकी मांगों पर निर्णय लेते हुए मीटिंग में यह तय किया गया कि प्रत्येक शिफ्ट में 20 पुलिसकर्मी सुरक्षा के तैनात रहेंगे। इसके बाद डॉक्टर काम पर लौटे।

सुपरिटेंडेंट ने भी सुरक्षा की मांग की

एनएमसीएच में प्रिंसिपल डॉ। हीरा लाल महतो और सुपरिटेंडेंट डॉ। विनोद कुमार सिंह ने बताया कि जूनियर डॉक्टर सुरक्षा की मांग पर अड़े हैं। डीएम के आश्वासन के बाद चार-पांच पुलिस ही यहां तैनात किया गया है। उन्होंने प्रत्येक पाली में 20-20 पुलिस कर्मी तैनात किए जाने को जरूरी बताया। उन्होंने बताया कि अब सीनियर डॉक्टरों ने कमान संभाल लिया है। लगभग 150 पीजी डॉक्टरों की भूमिका इलाज में महत्वपूर्ण होती है। इन्हें पेशेंट का इलाज करने के लिए सुरक्षा मुहैया किया जाना चाहिए। देर शाम तक जूनियर डॉक्टर्स सुरक्षा की मांग को लेकर कैंपस में सुपरिटेंडेंट ऑफिस के पास डटे रहे।

ऑक्सीजन खत्म होने से परिजन बाहर आए

एनएमसीएच में बीते कुछ दिनों की जद्दोजहद और डीएम के निर्देश के बावजूद ऑक्सीजन की सप्लाई समुचित रूप से नहीं हो रही है। शुक्रवार की शाम सेंट्रल इमरजेंसी में ऑक्सीजन खत्म हो गया। इसी दौरान यहां का ताजा हालात जानने शाम सात बजे डीएम, एसएसपी भी कैंपस में आ चुके थे। हालांकि ऑक्सीजन खत्म होने के बावजूद डॉक्टर्स वार्ड की ओर नहीं गए। डॉक्टरों में फिर से मारपीट का भय था। इस दौरान सभी अटेंडेंट बेहद परेशान दिखे।

सुरक्षा में सुबह से शाम

गुरुवार की रात में ही डीएम के निर्देश के बावजूद एनएमसीएच में सुरक्षा व्यवस्था शुक्रवार की शाम तक दुरूस्त नहीं हो सका। इस दौरान दिन में मारपीट की घटना के बाद से ही यहां सभी वार्ड को छोड़ सुपरिटेंडेंट ऑफिस के पास एकत्रित रहे। उधर, जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा और आक्सीजन की कमी को दुरूस्त करने के लिए एनएमसीएच प्रशासन भी परेशान रहा। सुपरिटेंडेंट डॉ। विनोद कुमार सिंह ने बताया कि इन दो बड़ी समस्या के लिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री, विभाग के प्रधान सचिव, मानवाधिकार आयोग के सचिव, डीजीपी, एसएसपी, डीएम सबसे फोन पर गुहार लगा चुके हैं। सभी ने मामले का समाधान करने की बात कही है लेकिन लेकिन शुक्रवार की शाम तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुपरिटेंडेंट ने बताया कि ऑक्सीजन जब खत्म होने में आधा घंटा से लेकर पंद्रह मिनट बचता है तब तक सिलेंडर पहुंचना सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अस्पताल का पूरा प्रशासनिक तंत्र ऑक्सीजन की जुगाड़ में ही व्यस्त रहता है।