PATNA/ARA : आषाढ़ का महीना बीतने को है। लेकिन, बारिश का नामोनिशान नहीं है। किसानों के साथ-साथ आम लोग भी गर्मी की मार झेल रहे हैं। एक ओर किसान पर सूखे की मार पड़ रही है वहीं, आम लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं। गर्मी का आलम यह है कि आषाढ़ में जेठ जैसी गर्मी पड़ रही है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार अच्छी बारिश का अनुमान जताया था जो फेल होता दिख रहा है। उत्तरी बिहार के कुछ जिलों को छोड़ दे तो लगभग पूरे बिहार में सूखे की स्थिति बन गई है। नेपाल में हो रही बारिश की वजह से उत्तरी बिहार के कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति हो गई है। गंगा में पानी भर गया है।

आसमान की ओर लगी टकटकी

प्रदेश में अच्छे मानसून की सभी भविष्यवाणियां फेल होती दिख रही है। भयंकर सूखे की संभावना से किसान सहमे हुए हैं। भदई फसलों की बुआई बारिश नहीं होने एवं खेतों में नमी नहीं होने के कारण नहीं हो पा रही है। भोजपुर जिले के शाहपुर का दियारा क्षेत्र जो भदई फसलों के लिए जाना जाता है। अब तक भदई फसलों की बुआई बारिश नहीं होने की वजह से नहीं हो पाई है। किसान आकाश की तरफ टकटकी लगाए अनुमान लगाने में जुट गए हैं। वहीं, गंगा में जल का स्तर बढ़ने से बाढ़ आने की आशंका भी प्रबल होती दिख रही।

मरने के कगार पर फसलें

शाहपुर प्रखंड में लगभग 12000 एकड़ भूमि पर ज्वार, बाजरा और मक्का की खेती होती है। फिलहाल दो या तीन प्रतिशत क्षेत्रफल में फसलों की बुआई सिर्फ मक्के की खेती हो पाई है जो अब सूखने के कगार पर है। लगभग 10000 एकड़ में धान की खेती होती है जिसके बीचड़े डाले तो गए हैं लेकिन उन्हें बचाने का संकट किसानों के सामने उत्पन्न हो चुका है।