PATNA : दलित अपराध के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए जल्द ही एक्सक्लूसिव कोर्ट बनाया जाएगा। इतना ही नहीं पीडि़तों को न्याय दिलाने में थोड़ी सी भी लापरवाही हुई तो पुलिस पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। दलित उत्पीड़न एक्ट में वर्ष ख्0क्म् में हुए संशोधन को लेकर सोमवार को अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया है जिसमें प्रदेश के सभी जिलों से निरीक्षक व अन्य पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। विशेष प्रशिक्षण का शुभारंभ डीजी प्रशिक्षण के एस द्विवेदी ने किया और कानून में बदलाव से पुलिस को अपडेट किया।

- क्भ् की जगह अब फ्ब् प्रकार के अफेंस

आईजी (प्रशिक्षण) एके अम्बेडकर ने बताया कि एससी/एसटी एक्ट में कई संशोधन किए गए हैं। पूर्व में इसमें क्भ् अफेंस थे जिसे अब बढ़ाकर फ्ब् प्रकार का कर दिया गया है। दो दिवसीय प्रशिक्षण में बदलाव के हर बिंदु से पुलिस को अपडेट करना है। इसमें प्रमुख बात ये है कि दलित उत्पीड़न के मामलों में पुलिस की मनमानी नहीं चलने पाएगी। निर्धारित समय में ही मामलों का निस्तारण कर देना है। मामले अधिक होने पर न्यायाधीश हाईकोर्ट से अनुमति लेकर एक्सक्लूसिव कोर्ट के माध्यम से पीडि़तों को न्याय दिला सकते हैं। इस धारा की व्यापकता बढ़ा दी गई है और वर्ष ख्0क्म् के संशोधन में अन्य कई अहम बिंदु को जोड़ा गया है जो आरोपियों को राहत देने वाले थे। सबसे प्रमुख है कि लोग दलित को नहीं पहचानने की बात कहकर राहत पाते थे उसे सब बदल दिया गया है। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न थानों से अधिक संख्या में पुलिस के इंस्पेक्टर और एसआई शामिल हुए।