-राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने जारी किया घोषणा पत्र

-मुंबई, बंगलुरू व चेन्नई जैसे शहरों का किया गया अध्ययन

क्कन्ञ्जहृन्: गंगा, गंडक और कोसी जैसी अनियंत्रित नदियों के किनारे बसे शहरों में बाढ़ के खतरे को कम करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अर्बन फ्लड कंट्रोल प्लान के तहत अगले 4 वर्षो का फार्मूला तैयार किया है। संबंधित विभागों को इसे 2022 तक पूरा करने का टास्क सौंपा गया है। 12 सूत्री प्लान को पटना घोषणा पत्र के नाम से जाना जाएगा। नगरों की बाढ़ समस्या पर हाल में पटना में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में प्राप्त सुझावों के आधार पर राज्य सरकार ने घोषणा पत्र को तैयार और अंगीकार किया है। इसके लिए मुंबई, बंगलुरू औश्र चेन्नई जैसे बड़े शहरों में आई बाढ़ एवं सुरक्षा के उपायों का भी अध्ययन किया गया है।

28 जिलों पर अधिक खतरा

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यासजी के मुताबिक बिहार के 28 जिलों में बाढ़ के सबसे ज्यादा खतरे हैं, इनमें पटना, भागलपुर, बक्सर, पूर्णिया, दरभंगा और आरा समेत कई शहरों की सुरक्षा बड़ी चुनौती है। बारिश के दिनों में इन शहरों में लगभग प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है और लाखों परिवारों, पशुओं और फसलों को तबाह कर देती है। नगरीय बाढ़ से बचाव के लिए पटना में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त सुझावों के आधार पर पटना घोषणा पत्र तैयार किया गया है, जिसके अनुरूप अगले 4 वर्षो में सभी संबंधित विभागों को व्यवस्था करनी है।

बिहार के शहरों में बाढ़ की वजह

व्यास के अनुसार बिहार के शहरों में बाढ़ की प्रमुख वजह बेतरतीब निर्माण, लबालब गंदे नाले, लगातार बारिश और जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था का न होना है। बिहार में आमतौर पर नदियों के किनारे बसे शहरों में लगातार बारिश और जल जमाव के चलते ही बाढ़ आती है। दो साल पहले पटना समेत गंगा के किनारे स्थित शहरों में बाढ़ का खतरा गहरा गया था। तीन ओर नदियों से घिरे इस शहर में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण तीन-चार दिनों तक यथास्थिति बनी हुई थी। अगर जल निकासी पर ध्यान नहीं दिया गया तो ऐसे खतरे आते रहेंगे।

पटना घोषणा पत्र में ये है खास

-नागरिकों के व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया जाएगा, ताकि जलमार्गो को अतिक्रमण से मुक्त रखा जा सके।

-कचरों को साफ कर नालों में प्रवाह बनाए रखने के लिए नगर विकास विभाग को अभियान चलाना पड़ेगा।

-मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी तंत्र को सक्रिय रखा जाएगा। मानसून के पहले सारी व्यवस्था करनी होगी।

-आपात स्थिति में आवागमन जारी रखने के लिए सड़क, जल, वायु, रेल मार्गो को बाधा मुक्त रखा जाएगा। जरूरी सेवाएं 24 घंटे जारी रहेंगी।

-वित्तीय संसाधन एवं बचाव दल की व्यवस्था, बाढ़ आपदा जोखिम न्यूनीकरण को संस्थागत बनाया जाएगा।