पटना ब्‍यूरो। दो उम्रदराज महिलाओं के कुल्हे के सफल प्रत्यारोपण ने लोगों का भरोसा जीता है। पटना की रहने वाली 69 वर्षीय महिला मखनी देवी का बांया कुल्हा खराब हो गया था। आसपास के अस्पतालों में करीब एक महीने तक इलाज कराने के बाद जब इसका कोई स्थाई समाधान नहीं निकला तो वे हनुमान नगर स्थित गोविन्द हॉस्टल पहुंचीं। यहां ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोट्र्स इंजुरी विशेषज्ञ डॉ। अश्विनी कुमार पंकज ने उनका इलाज किया। करीब एक घंट के ऑपरेशन के बाद उनका कुल्हा बदल दिया गया और पांच दिन बाद उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। डॉ। पंकज बताते हैं कि अब वह बिल्कुल ठीक हैं। इसी तरह बिहारशरीफ की रहने वाली 57 साल की मनोरोगी सुषमा देवी का कुल्हा एक सड़क दुर्घटना में टूट गया था। उनका भी कुल्हा बदलना पड़ा। डॉ। अश्विनी ने इस मरीज का भी कुल्हा प्रत्यारोपण सफलता के साथ किया। अब वह चलने-फिरने लगी हैं।
डॉ। पंकज ने बताया कि कूल्हा प्रत्यारोपण आज के समय में बहुत महंगा इलाज नहीं है। तकनीक ने इसे आसान कर दिया है। आज तकनीक की मदद से बेहद सुलझा और सटीक इलाज संभव हो रहा है। मरीज के शरीर को बहुत कम नुकसान पहुंचाकर छोटे से चीरे से कुल्हा प्रत्यारोण का विकल्प खुल गया है। इसकी सफलता दर भी शत-प्रतिशत हो गयी है। प्रत्यारोण के 12 से 24 घंटे के बाद मरीज चलने-फिरने लगता है। कुल्हा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में गोविन्द हॉस्पिटल की विशेषज्ञता बढ़ती जा रही है। लोग कुल्हे समेत हड्डी से जुड़ी कोई भी समस्या लेकर एक निश्चंत भरोसे के साथ यहां पहुंचते हैं और इलाज से संतुष्ट होकर जाते हैं।