दोनों स्ट्रीम में आ सकती है बाधा

कई कॉलेजों में साइंस सब्जेक्ट में या तो टीचर नहीं हैं या इनकी संख्या एक या दो है। यही हॉल कॉमर्स स्ट्रीम का है। इसमें टीचर्स की कमी तो है ही कई जगह पर इसकी पढ़ाई भी नहीं हो रही है। ऐसे में इन दोनों स्ट्रीम में बाधा खड़ी हो सकती है।

बाहर स्थिति और बदतर

यूनिवर्सिटी के केवल तीन कॉलेज ऐसे हैं जहां साइंस के टीचर की संख्या 20 या इससे ज्यादा है। इनमें से दो कॉलेज यूनिवर्सिटी हेडक्वाटर में है और एक बाहर। साइंस में यूनिवर्सिटी हेडक्वाटर के बाहर के कॉलेजों की स्थिति और बदतर है। शेष 26 कॉलेजों में केवल पांच में साइंस के 10 या उससे ज्यादा टीचर है। बाकी में कहीं आठ तो कहीं एक भी टीचर नहीं है। यूनिवर्सिटी के दो तिहाई कॉलेजों में न तो कॉमर्स की पढ़ाई होती है और न इसके टीचर हैं। हर वर्ष आई कॉम के बाद बी कॉम में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को भटकना पड़ता है।

कॉमर्स का नामो निशान नहीं

हर सेशन में एसएम कॉलेज में बी। कॉम में एडमिशन के लिए हल्ला-हंगामा होता रहता है। यूनिवर्सिटी में 14 कॉलेजों में कॉमर्स का नामो निशान नहीं है। यूनिवर्सिटी बजट की बात करें तो उनमें कॉलेजों के खाते में दर्शाए गए सब्जेक्ट में 19 में कॉमर्स नदारद है। यूनिवर्सिटी के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में शुमार टीएनबी भी उन कॉलेजों में शामिल है। जहां कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होती है।

प्रोफेशनल सब्जेक्ट पर जोर

जानकार बताते हैं कि नैक साइंस को रोजगारपरक मानते हुए काफी अहम समझता है। टीएनबी कॉलेज और एसएम कॉलेज द्वारा ग्रेडिंग के लिए भेजे गए प्रस्ताव में नैक ने साइंस की पढ़ाई और लेबोरेटरी में मजबूती के लिए विशेष रूप से तैयारी करने को कहा है। दोनों कॉलेजों ने इसका ध्यान रखते हुए ग्रेडिंग की तैयारी के लिए लेबोरेटरी को बेहतर बनाने की कोशिश है। इन दोनों कॉलेजों के लिए ऐसा करना आसान था क्योंकि टीएनबी में साइंस के 39 और एसएम कॉलेज में 20 टीचर हैं। कॉमर्स की पढ़ाई को इस बार नेशनल हायर एजुकेशन अभियान के तहत इंपॉर्टेंट बताते हुए उन सब्जेक्ट में रखा गया है जिनमें टीचर्स की कमी दूर करने को यूनिवर्सिटी ने प्राथमिकता दी है।

रूसा के तहत प्रोफेशनल स्टडी के अलावा कॉलेजों में कॉमर्स की पढ़ाई को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

डॉ। ताहिर हुसैन वारसी, रजिस्ट्रार, भागलपुर यूनिवर्सिटी.

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