पटना(ब्यूरो)। देश के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में भारतीय विरासत और संस्कृति की सत्र 2023-24 से पढ़ाई प्रारंभ होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इससे जुड़े 46 कोर्स को मान्यता देते हुए अंतिम गाइडलाइन जारी कर दी है। यूजीसी ने भारतीय विरासत और संस्कृति को प्रसारित करने के लिए कोर्स डिजाइन किया है। नेशनल एजुकेशन पालिसी-2020 के आधार पर सार्वभौमिक मानवीय मूल्य, वैदिक गणित, योग, आयुर्वेद, संस्कृत, भारतीय भाषाएं, संगीत, शास्त्रीय नृत्य-संगीत जैसे कोर्स शामिल किए हैं। कोर्स संचालन में संबंधित विधा के विशेषज्ञ व कलाकारों की सेवा ली जाएगी। कोर्स शार्ट टर्म मल्टी टीयर क्रेडिट आधारित माड्यूलर प्रोग्राम पर आधारित है। इसमें कई एंट्री और एक्जिट प्वाइंट होंगे। विद्यार्थी ये कोर्स कभी भी ज्वाइन और छोड़ सकते हैं। भारतीय संस्कृति में विदेशी विद्यार्थियों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए कई स्तर पर विश्वविद्यालयों को कार्य करने के लिए कहा गया है। कोर्स के माध्यम से धार्मिक स्थल, उसके पौराणिक महत्व, खासीयत, वैज्ञानिक पहलू, भारतीय मूर्तिकला, पुरातात्विक स्थल, ड्रामा, विजुअल आट््र्स, क्राफ्ट, हस्तकला, भारतीय ज्ञान प्रणाली, परंपरा की विस्तृत जानकारी दी जायेगी। यूजीसी सचिव प्रो। मनीष आर जोषी ने बताया कि सभी शिक्षण संस्थानों से कोर्स को लेकर विचार मांगे गए थे। कोर्स भारत के गौरव पूर्ण परंपरा और संस्कृतिक के अनुभव करने में सहायक साबित होगा।

आनलाइन व आफलाइन दोनों माध्यम से होगी कक्षाएं

कोर्स को इंड्रोटक्ट्री, इंटरमीडिएट व एडवांस स्तर पर डिजाइन किया गया है। शिक्षक, छात्र व विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर भविष्य में और पाठ्यक्रम शामिल किए जाएंगे। यह हाइब्रिड मोड यानि आनलाइन और आफलाइन दोनों माध्यम से पूरा किया जाएगा। प्रैक्टिकल पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। प्रोग्राम के तहत प्रसिद्ध स्थलों का दौरा भी करवाया जायेगा। विश्वविद्यालय व कालेज स्थानीय विरासत और संस्कृति पर आधारित कोर्स भी डिजाइन कर इसमें शामिल कर सकेंगे। हर प्रोग्राम को पांच यूनिट और हर यूनिट को तीन माड्यूल्स में बांटा गया है। उच्च शिक्षण संस्थान से कोर्स पूरा होने पर सर्टिफिकेट दिया जायेगा। इसमें क्रेडिट ट्रांसफर का भी प्रविधान है। यह नेशनल एकेडेमिक डिपाजिट्री (एनएडी) पर भी उपलब्ध होगा। प्रोग्राम के तहत लेक्चर, आडियो-वीडियो, स्पेशल लेक्चर, ग्रुप डिस्कशन, प्रैक्टिकल सेशन, स्टेज परफार्मेंस, काउंसिङ्क्षलग, गाइडेंस आदि आयोजित होंगे।

इन पाठ्यक्रमों में शुरू होगी पढ़ाई
भारतीय संस्कृति, भारतीय सौद्धांतिक मूल्य, आयुर्वेद, योग, भारतीय दर्शन, भारतीय संगीत, भारतीय नृत्य, भारतीय प्रक्यूशन एंड वोकल म्यूजिक, भारतीय धार्मिक क्षेत्र, भारत के पुरात्विक स्थल, भारतीय कला और वास्तुशास्त्र, कल्चरल हेरिटेज आफ इंडिया, भारतीय मंच, भारतीय नाट््यशास्त्र, भारतीय पुरालेख, भारतीय पांडुलिपि व्यवस्था, भारतीय परंपरा, भारतीय भोजन व फैशन, संस्कृत लैग्वेज एंड लिट्रेचर, प्राकृतिक लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, पाली लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, ङ्क्षहदी लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, तमिल लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, तेलगु लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, कन्नड़ लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, मलयालम लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, मराठी लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, गुजराती लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, उडिय़ा लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, असमिया लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, कश्मिरी लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, नेपाली लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, उर्दू लैंग्वेज एंड लिट्रेचर, वैदिक गणित, ज्योतिष, भारतीय काफ्ट सिस्टम, भारतीय साहित्य, इंडियन मैथेलाजी, भारतीय विधि, भारतीय सिद्धांत, भारतीय तर्क परंपरा तथा भारतीय नदियां : इतिहास व संस्कृति शामिल हैं।