-अपने हक के लिए विधानसभा के सचिव के समक्ष जाने की सलाह

क्कन्ञ्जहृन्: महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे राजद और कांग्रेस के नेताओं को अब सरकारी आवास छोड़ना पड़ेगा। पटना हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से रह रहे पूर्व मंत्रियों को एक पखवारे के भीतर बंगला खाली करने का निर्देश दिया है। अदालत ने बेदखल किए जाने वाले नेताओं से उपयुक्त बंगले की हकदारी के लिए विधानसभा सचिव के समक्ष 60 दिनों के अंदर आवेदन करने को कहा है। यह आदेश बुधवार को न्यायाधीश सुधीर सिंह की पीठ ने चंद्रिका राय सहित आधा दर्जन याचिकाओं को निष्पादित करते हुए दिया। अदालत ने सरकारी बंगला खाली कराने संबंधी 20 सितंबर 2017 के आदेश को सही ठहराया। एकल पीठ ने सरकारी आवास विवाद संबंधी मामले पर 6 फरवरी को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे आज सुनाया गया।

अदालत नहीं करना चाहती हस्तक्षेप

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मंत्रियों को आवास खाली कराने के लिए जो नोटिस दिया है, उसमें अदालत हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है। इसलिए जिन्हें भी आवास खाली कराने के लिए कहा गया है वे 15 दिनों के अंदर बंगला खाली कर दें। ज्ञात हो कि प्रदेश में जब कांग्रेस, राजद एवं जदयू की सम्मिलित सरकार बनी थी तो इन मंत्रियों को सरकारी आवास मिला था। मंत्री पद से हट जाने के बाद भी ये डी और ई टाइप के मकान छोड़ने को तैयार नहीं थे।

नए को घर नहीं पुराने छोड़ने को तैयार नहीं

जबकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि नये मंत्रियों को रहने के लिए घर नहीं है ओर पुराने नेता बंगला छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्व मंत्रियों की ओर से अधिवक्ता विन्ध्याचल सिंह एवं अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव का कहना था कि ये सभी वरीय नेता हैं। कई बार चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में इन्हें संबंधित बंगलों रहने दिया जाना चाहिए। अभी भी अनेक सरकारी बंगले हैं जिसमें ऐसे नेता रह रहे हैं जो उसके हकदार नहीं हैं।

इन्हें खाली करना होगा आवास

चन्द्रिका राय, अब्दुल बारी सिद्दिकी, डा.अब्दुल गफूर, शिव चन्द्र राम, अनिता देवी, प्रो.चन्द्रशेखर, विजय प्रकाश एवं आलोक कुमार मेहता।